हम तरह-तरह की ध्वनि से घिरे है। ध्वनि मतलब कंपन जो आगे बढ़ती है तरंग के रूप में अपने आसपास के माध्यम को धक्का देकर। कैसे बदल जाता है ध्वनि का धक्का आवाज में कान कैसे करते काम (How do we hear) ।
कान के भाग
अगर हम कान के अंदर देख पाते तो ऐसी दिखती संरचना।
बाहरी कान का कर्ण पल्लव (Pinna), मध्य कान की श्रवण नलिका (Ear canal), कर्ण पटह (Ear Drum), कान की तीन हड्डियां (Ear Bones) और आंतरिक कान में कर्णावत (Cochlea)
मानव के कान की आंतरिक संरचना
कान कैसे काम करता है?
हमारे दो बाहरी कान कर्ण पल्लव ध्वनि तरंगों को अंदर भेजते हैं। उनका काम ध्वनि तरंगों का संचय करना।
अब तरंगे मध्य कान की श्रवण नलिका से होकर ड्रम या कान के पर्दे तक पहुंचते हैं, कान का पर्दा एक ध्वनि तरंगों की ऊर्जा से कंपन करता है।
ध्वनि तरंगें ऊर्जा से बजता मानो कान का ड्रम
कमाल की श्रवणप्रणाली
कान की तीन हड्डियाँ
मध्य कान (Middle Ear) में तीन हड्डियों की एक प्रणाली।
पर्दे को छुती मूग्द्रक यानी Malleus, दोनों को जोड़ती निहाई या Incus और कर्णावत को छुती वलयक या Stapes
ध्वनि तरंगों से परदा कांपता है हड्डियां हिलती है और धक्के की ऊर्जा को करीब 20 गुना तक बढ़ा देती है। मानो एम्प्लीफायर।
ये सिग्नल अब तंत्रिका के साथ पहुंच जाता है। ब्रेन में पार्ट ब्रेन डॉयल सुन भी लेता है और समझ भी लेता है।