प्राकृतिक आपदाएं
वर्षा सदैव सुहावनी नहीं होती है विशेषकर गर्मियों के मौसम में।
भारत जैसे आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में। कभी-कभी इनके साथ आंधी, तूफान एवं चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आती हैं। आईए इन घटनाओं पर गौर करें।
तड़ित झंझा का निर्माण
तड़ित झंझा का निर्माण तब होता है जब नमी युक्त गर्म वायु ऊपर वायुमंडल में जाती है।
जैसे-जैसे नमी युक्त गर्म वायु वायुमंडल में उंचाई पर जाती है जल वाष्प पानी में बदलती है और कपासी बादलों का निर्माण होता है।
जैसे-जैसे गर्म वायु ऊपर की ओर बढ़ती है कपासी बादल बड़े तूफानी बादलों में परिवर्तित हो जाते हैं।
जब तूफानी बादलों से पानी की बूंदे भारी मात्रा में निकलती है तब तड़ित झंझा का निर्माण होता है और इसके साथ बिजली कड़कती है।
चक्रवात का निर्माण
जब तड़ित झंझा समुद्र के गर्म पानी के ऊपर चलते हैं वे चक्रवातों का निर्माण करते हैं।
तड़ित झंझा की गर्म वायु समुद्र की सतह की गर्म वायु से मिलती है और ऊपर की ओर बढ़ती है।
विपरीत दिशा में प्रवाहित होने वाली हवा तड़ित झंझा के घूमने के कारण बनती है।
ऊपर की और जाती हुई गर्म वायु ज्यादा उंचाई पर कम दाब वाला क्षेत्र बनाती है।
निम्न दाब महासागर की सतह से अधिक गर्म वायु को नियंत्रित खींचता है और इसे ऊपर उठाता है, साथ ही ठंडी वायु नीचे लाई जाती है।
घटनाओं का यह चक्र उच्च वेग वाली हवा से घिरे बहुत कम दाब वाले तंत्र का निर्माण करता है। चक्रवात का केन्द्र तूफान का नेत्र कहलाता है। तूफान का नेत्र उसका सबसे शांत क्षेत्र होता है।