क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपना सिर ऊपर नीचे कैसे कर पाते हैं?
क्या कोहनी का मुड़ना कैसे संभव हो पाता है?
सभी प्रश्नों का सही उत्तर है हमारे शरीर की संधियों या जोड़ो के कारण ही हम अपना सिर ऊपर नीचे कर पाते हैं और कोहनी का मरना भी इससे संभव हो पाता है।
संधि या जोड़ (Joint)
संधि या जोड़ वह स्थान है जहां दो अस्थियां या हड्डियां (bones) मिलती है। संधियों के कारण शरीर में विभिन्न गतिविधियां संभव होती है।
संधियों को उनकी गति करने कि सीमा के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
1. अचल संधि
2. आंशिक रूप से चल संधि
3. मुक्त रूप से जल संधि
1. अचल संधि
खोपड़ी के स्तूप जैसी संधि अचल संधियां बिल्कुल गति नहीं करती है।
यह संधियां अचल होती है और कोई गति नहीं होने देती है। इसी कारण से उन्हें अचल संधियां कहते हैं।
अचल संधियां खोपड़ी और ऊपरी जबड़े में पाई जाती है।
2. आंशिक रूप से चल संधि
पसलियों को उरोशती (strunum) से जोड़ने वाली संधि जैसी आंशिक रूप से चलती संधियां थोड़ी गति करती है।
3. मुक्त रूप से जल संधि
मुक्त रूप से चल संधियां अलग-अलग दिशाओं में गति करती है। यह संधियां कूल्हे, कंधे, कोहनी, कलाइयों, घुटनों और एडीओ पर पाई जाती है।
मुक्त रूप से चल संधियों के प्रकार
(क) हिंज संधि
(ख) दुराग्रह संधि
(ग) कंदूक- खाल्लिका संधि
(घ) संसर्पी संधि
(क) हिंज संधि
जैसे दरवाजा अपने कब्जे के सहारे आगे-पीछे गति करता है। वैसे ही हिंज संधियां केवल एक दिशा में गति होने देती है। इस प्रकार की संधियां घुटनों, कोहनी, अंगुलियों और पादा अंगुलियों में पाई जाती है।
(ख) दुराग्रह संधि
दुराग्रह संधियां घूर्णन या एंठने वाली गति करती है। मेरुदंड और खोपड़ी के बीच दुराग्रह संधि के द्वारा आप अपने सिर को दाएं, बाएं, ऊपर और नीचे घुमा सकते हैं।
(ग) कंदूक-खाल्लिका संधि
कंदूक खाल्लिए संधियों द्वारा अधिक गति संभव है। यहां लंबी अस्थि गोल सिरा दूसरी अस्थि के कटोरी जैसी गोरी काम में धंस जाता है ऐसा हम कूल्हे और कंधे में देखते हैं।
(घ) संसर्पि संधियां
संसर्पि संधियां अस्थियों को एक दूसरे पर सरकने देती है। यह अस्थियां कलाइयों और एडियो में पाई जाती है।
अतः आपने देखा कि हमारी गति के ढंग को निर्धारित करने में शरीर की संधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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