वायुमंडल पर वनों का प्रभाव और इस तरीके से करते है ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की की रक्षा

वनों का पृथ्वी के वायुमंडल पर एक बड़ा प्रभाव है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर और ऑक्सीजन छोड़ता वायुमंडल को स्वच्छ रखते हैं।

वन मुख्य रूप से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को संतुलित कर के वायुमंडल को प्रभावित करते हैं।

वायुमंडल पर वनों का प्रभाव | Influence of Forest on Atmosphere | Basic of Science

पृथ्वी गर्म कैसे रहती है?

कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जो कि सूर्य के प्रकाश की उस्मा को अवरुद्ध कर वापस जाने से रोक देती है जिस कारण पृथ्वी गरम रहती है।

कार्बन डाइऑक्साइड कैसे अवशोषित होती है?

वन प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।

मृत्य जिव मिट्टी में कैसे मिलते हैं?

जब जीवित प्राणी मर जाते हैं, वह मिट्टी में मिल जाते हैं, कवक और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव मृत्य जीवो को विघटित करते हैं। परिणाम स्वरूप कार्बनिक तत्व अन्य घटकों के बीच मुक्त हो जाते हैं।

जीवाश्म ईंधन कैसे बनते हैं?

समय के साथ विघटित पदार्थ मिट्टी में गहराई में चले जाता है। गर्मी और दाब कारबन को कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म इंधन ओं में बदल देते हैं।

इस तरह कार्बनिक तत्व वायुमंडल में मुक्त होने के बजाय मिट्टी में ही बने रहते हैं।

कार्बन सिंक क्या होता है?

दरअसल, वनों को लंबी अवधि तक कार्बन संग्रहित कर पाने की क्षमता की वजह से कार्बन सींक के रूप में भी जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की की रक्षा कैसे करते हैं?

वनों को लंबी अवधि तक कार्बन संग्रहित कर पाने की क्षमता की वजह से कार्बन सींक के रूप में भी जाना जाता है।

इस तरह 1 ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभाव से पृथ्वी की रक्षा करते हैं और पृथ्वी के वायुमंडल को ठंडा रखते हैं। 

वनों को काट दिया जाए तो क्या होगा?

लेकिन यदि वनो काट छांट या साफ कर दिया जाए तो फिर क्या होगा। वन में संग्रहित कार्बन वापस वातावरण में चली जाएगी।

औद्योगीकरण से कार्बन डाइऑक्साइड

आजकल उद्योगों के निर्माण के लिए वनों को काटा जा रहा है,यह उद्योग वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक ओं का उत्सर्जन करते हैं।

इसके अलावा औद्योगीकरण के मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा की मांग में वृद्धि की है। इस ऊर्जा का अधिकांश भाग जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्पन्न होता है, जो पुणे में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करता है।

इन सभी के परिणाम स्वरुप वातावरण में कार्बन तत्वों की अधिक और तेज वृद्धि होती है। वातावरण में कार्बन की बढ़ी हुई मात्रा ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

यह वातावरण को प्रदूषित करता है।

कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ज्यादा बढ़ने से नुकसान

अगर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है तो यह वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बनता है और जलवायु में परिवर्तन लाता है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।

अतः जलवायु परिस्थितियों में एक संतुलन बनाए रखने के लिए वनों को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है।

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