आंखों की इस बीमारी के कारण व्यक्ति पूर्ण रूप से अंधा हो सकता है अगर इसका इलाज समय पर शुरू नहीं किया जाए तो। काला मोतिया या ग्लूकोमा के कारण व्यक्ति को सामने का दृश्य साफ दिखता है लेकिन चारों ओर अंधकार छा जाता है। ग्लूकोमा का समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।
आइए इसके बारे में जानते हैं-
ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा आंखों में होने वाला एक रोग है। ग्लूकोमा को हिंदी में काला मोतिया या आंखों का काला पानी भी कहते हैं।
ग्लूकोमा या काला मोतिया की वजह से आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म हो जाती है।
आंख की रोशनी में कमी होने का एक कारण यह भी हो सकता है।
ग्लूकोमा या काला मोतिया (आंखों में काला पानी) किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
कैसे होता है आंखों में काला पानी या ग्लूकोमा (Glaucoma)?
हमारी आंख गोल है और उसमें तरल और जेली जैसा पदार्थ भरा हुआ है। जिससे आंख गोलाकार में बनी हुई होती है। अगर इस पदार्थ को निकाल दिया जाए तो यह पिचक जाएगी। इस पदार्थ को Aqueous humour and Vitreous humour कहते हैं।
आंख का सामान्य प्रेशर या दबाव 10 से 21 mmHg के बीच होता है।
अगर आंख में इस पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, तो आंख कठोर हो जाती है जिस कारण आंख में प्रेशर बढ़ जाता है।
पदार्थ के कारण बढ़ा हुआ प्रेशर आंख के पर्दे पर दबाव बनाता है वह तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ होता है। जिस कारण तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाती है और आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती जाती है।
किन लोगों को हो सकता है ग्लूकोमा
मोतियाबिंद के कारण भी ग्लूकोमा हो सकता है। जब मोतियाबिंद काफी ज्यादा पक जाता है और उसे ऑपरेशन के द्वारा नहीं हटाया जाए तो वह आंख के अंदर ही फट जाता है। जिस कारण आंख का प्रेशर काफी ज्यादा बढ़ जाता है और उससे ग्लूकोमा या काला मोतिया हो जाता है।
काला मोतिया के कारण व्यक्ति पूरी तरह से अंधा हो जाता है।
अनुवांशिकता के कारण भी ग्लूकोमा हो सकता है इसलिए वे लोग जिनके माता-पिता को ग्लूकोमा था उन्हें नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए। ग्लूकोमा नवजात शिशु में भी हो सकता है।
वे लोग जिनके चश्मे का नंबर माइनस में है या जिनका चश्मे का नंबर बार-बार बदल रहा है। उन्हें भी ग्लूकोमा हो सकता है। ऐसे लोगों को ग्लूकोमा की जांच करवानी चाहिए।
काला मोतिया और ग्लूकोमा (काला पानी) के लक्षण
कुछ लक्षण जो कि हमें काला मोतिया या ग्लूकोमा से बचा सकते हैं। आइए जानें वह कौन से लक्षण है।
- आंखों में तेज से दर्द रहना
- देखने में कमी
- सिर में तेज दर्द
- देखने में धुंधलापन
- मोतियाबिंद
- उल्टी होना
- लगातार आंखों में अंधेरा छाना
- तेज पानी आना
- दृश्य के चारों ओर काला घेरा बन जाना
- आंख लाल होना
ग्लूकोमा का उपचार
ग्लूकोमा के कारण खोई हुई दृष्टि वापस नहीं आ सकती है। लेकिन सही समय पर पता लगने पर उसे वहीं पर रोका जा सकता है, जिससे बाकी रोशनी को बचाया जा सकें।
ज्यादा लंबे समय या 5 वर्ष से काला मोतियाबिंद रोग होने पर अगर कोई भी दवा नहीं ले रहे हैं तो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी पूरी तरह खत्म हो जाएगी और व्यक्ति पूर्ण रूप से अंधा हो जाएगा जिसका कोई भी इलाज नहीं किया सकता। अगर वह व्यक्ति कोई दवा ले रहा है तो काला मोतिया से अंधेपन होने के रोका जा सकता है।
ग्लूकोमा की सर्जरी
काला मोतिया या ग्लूकोमा के उपचार के लिए सर्जरी कर आंखों के प्रेशर को कम किया जाता है जिससे इसे यहीं पर रोका जा सके ताकि बचे हुए रोशनी को बचाया जा सके।
जो दृश्य जा चुका है वह गूलकोमा के आपरेशन के बाद भी इससे आँख के रोशनी नहीं आती है।
आंखों में काले पानी की दवा
काला पानी से आंखों की रोशनी को बचाने के लिए उम्र भर भी दवा लेनी पड़ सकती है।
कुछ आंखों के काले पानी के लिए दवा है जिन्हें एंटीग्लूकोमा ड्रग्स कहा जाता है। जिनसे आंखों के प्रेशर को कम कर काली मोतिया को रोका जा सकता है आइए जानें-
एंटीग्लूकोमा ड्रग्स (Anti-Glaucoma Drugs)
1.प्रोस्टाग्लैंडइन एनालॉग
- बेटा ब्लॉकर्स
- सिंपैथॉमीमेटिक्स ड्रग्स या एड्रिनर्जिक एगोनिस्ट
- पैरा सिंपैथॉमीमेटिक्स ड्रग्स
- कार्बनिक अनहाइड्रेस इंहीबिटर्स
- कैलशियम चैनल ब्लॉकर्स
- हाइपर ऑस्मोटिक एजेंट
इन सभी काले पानी की दवाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार दिया जाता है।
ग्लूकोमा से कैसे बचें?
काली मोतिया या ग्लूकोमा से बचने के लिए नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराते रहना चाहिए।
इससे ग्लूकोमा के अलावा कई और प्रकार की बीमारियों से भी बचाव हो सकता है।
ग्लूकोमा में क्या खाना और पीना चाहिए?
खाने से ग्लूकोमा का कोई भी संबंध नहीं है। लेकिन जब हाइपरास्मोटिक एजेंट की दवा मेनिंटोल (Mannitol) को लगाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि पानी पीने से आंख का प्रेशर बढ़ जाता है।
ग्लूकोमा कार्टिकाइडस रोग क्या है ?
ग्लूकोमा कार्टिकाइडस रोग के कारण व्यक्ति पूर्ण रूप से अंधा हो जाता है और उसे कुछ भी नहीं दिखाई देता है। इसके साथ ही उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि सिर दर्द है, आंख में तेज दर्द, आंख लाल रहना, आंखों की रोशनी बहुत कम होना आदि
ग्लूकोमा सप्ताह
पूरी दुनिया में ग्लूकोमा सप्ताह 10 मार्च से 16 मार्च तक मनाया जाता है।
ग्लूकोमा सप्ताह के दौरान लोगों को ग्लूकोमा से बचने के लिए जागरूक किया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसके बारे में जानकारी मिले और वे अंधे ना हो सके।
इसके दौरान नियमित रूप से तंत्रिका तंत्र की जांच की जाती है कि कहीं आंख में पड़ रहे दबाव के कारण उसको कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा है।
सवाल: क्या आपके अस्पताल में आँखों के काले पानी का ऑपरेशन हो सकता है यदि हाँ तो एक आँख के आप्रेशन में कितना खर्चा आयेगा?
जवाब: भारत में लगभग सभी आंखों के अस्पताल में आंखों के काले पानी का ऑपरेशन होता है। सरकारी अस्पताल में आपको बिल्कुल कम खर्च या मुफ्त में इसका इलाज किया जा सकता है और अगर आप प्राइवेट अस्पताल में इसका इलाज कराते हैं तो उसका खर्चा ऑपरेशन के अनुसार ही होता है।
जयपुर में नेत्र या आंखों का अस्पताल :
- चरक भवन, s.m.s. हॉस्पिटल जयपुर राजस्थान – रेटीना क्लिनिक (Retina Clinic) आदि नेत्र सेवाएं
- श्री बालाजी नेत्रालय पुरानी चुंगी, आगरा रोड, जयपुर, राजस्थान
- सहाय हॉस्पिटल भाभा मार्ग, मोती डूंगरी, जयपुर ,राजस्थान – सहाय आई हॉस्पिटल
- काबरा आई हॉस्पिटल
- आनंद आई हॉस्पिटल जयपुर
- जयपुर कैल्गेरी आई हॉस्पिटल
- रेटीना केयर फाउंडेशन एंड आई हॉस्पिटल
- सेंटर फॉर साइट हॉस्पिटल आदि
सवाल: गाँधी आई हॉस्पिटल में आंखों की कोन कोन सी जांच हो सकती है?
जवाब: गांधी आई हॉस्पिटल में चश्मे का नंबर, नियमित आंखों की जांच, आई केयर टिप्स, एनसीटी, Vitreo retional discases, Laser for retional discases (पर्दे की बीमारियां), Phacoemulsification (मोतियाबिंद का ऑपरेशन), Gloucoma (ग्लूकोमा) services, Artificial eye prosthises implantation (लैंस प्रत्यारोपण), Contact lens fitting आदि जांचें की जाती है।