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आकाश नीला क्यों है? और सूर्यास्त और सूर्योदय पीले-नारंगी क्यों होते हैं?

 

आकाश नीला क्यों है?

तुमने यह सवाल कई बार सुना होगा या तुमने शायद कभी खुद से भी पूछा हो पर इसका जवाब ढूंढ़ने के लिए शायद हमें अभी कुछ और सवाल करने चाहिए।

रात में आकाश का रंग क्या होता है?

अब इसका जवाब तो तुम सबको पता है। रात में आकाश का रंग गहरा या अंधकार में होता है और ऐसा क्यों है। वह सीधी सी बात है कि अगर प्रकाश नहीं है तो रंग भी नहीं होंगे।

रंग प्रकाश से मिलते हैं या रंग प्रकाश की वजह से दिखाई देते हैं।

 

चलो ठीक बात है अब यह बताओ कि आकाश का क्या रंग दिखता है जब तुम अपनी आंखें बंद कर लेते हो? अब ये कैसा सवाल।

अरे भाई रंग देखने के लिए हमें आकाश की जरूरत पड़ती ही है। पर इसका मतलब ये है कि प्रकाश हमारी आंखों के साथ कुछ तो करता है कि हमें रंग दिखाई देने लगते हैं

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यहाँ एक अंतरिक्ष यात्री है जो एक छोटी गाड़ी को चंद्रमा पर चला रहा है। तुम क्या देखते हो पर इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण कि तुम क्या नहीं देख पा रहे हो।

बांयी ओर से सूर्य का प्रकाश आ रहा है तुम टायर के मटका का रंग देख सकते हो। जमीन का रंग यहां भूरा लेती है।

अब एक दूसरा चित्र लो अब छोटी गाड़ी के साथ तुम लाल और नीले अमरीकी झंडे को भी देख सकते हो। इस छोटी गाड़ी जिसने अंतरिक्ष यात्री को आकाश से चंद्रमा की जमीन पर पहुंचाया है तुम इस गाड़ी का सुनहरा रंग भी देख सकते हो। अरे यहां प्रकाश है लेकिन आकाश पूरी तरह से काला है। एकदम अंधेरा। अब ये कैसे हुआ।

 

चंद्रमा का कोई वातावरण नहीं है। चंद्रमा पर हवा नहीं है।

 

तुम प्रकाश को तभी देख पाते हो जब किसी बड़ी या छोटी वस्तु जैसे जमीन झंडा या छोटे गैस के अणुओं द्वारा परावर्तित होता है। अगर चंद्रमा पर हवा होती जैसे हमारी पृथ्वी पर है, तो वह नीला दिखता है।

 

पृथ्वी पर आकाश का नीला रंग पृथ्वी पर मौजूद हवा की वजह से होता है। आकाश पृथ्वी से नीला दिखता है, लेकिन पृथ्वी के ऊपर अगर हवा नहीं होती तो दिन के समय सूरज चमकने पर भी आकाश कला दिखता है।

 

हवा करती क्या है? 

जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वातावरण तक पहुंचती हैं तो हल्की गैस के कुछ पड़ोसी मिलते हैं जो सिर्फ कुछ नीले प्रकाश को बिखेर देते हैं लेकिन बाकी के रंगों की किरणें उनसे होकर चली जाती हैं क्योंकि कुछ नीली रोशनी चली जाती है। इसलिए सूर्य की सफेद रोशनी पृथ्वी पर हल्की पीली सी दिखाई देती है।

 

नीली रोशनी जो कि बिखरी हुई होती है, हमारी आँखों तक पहुंचती है और हम नीले रंग का आकाश देख पाते हैं।

 

सूर्यास्त और सूर्योदय पीले-नारंगी क्यों होते हैं?

जब सूर्य अस्त या उदय हो रहा होता है, तो सूर्य की किरणों को वातावरण का बहुत सारा हिस्सा तय करना होता है। यह ज्यादा लंबा रास्ता होता है और इसी वजह से ज्यादातर नीली और हरी रोशनी वातावरण द्वारा दूर तक बिखर जाती है और सूर्य की दिशा में जो प्रकाश हमारी आंखों तक पहुंचता है वह पीला या नारंगी पीला नीला होता है।

 

हम प्रकाश तभी देख सकते हैं जब वे किसी वस्तु से परावर्तित होता है या फिर हम प्रकाश के स्रोत जैसे सूर्य या बल्ब की ओर देखते हैं।

हम रंगों को इसलिए देख पाते हैं क्योंकि या तो वस्तुएं कुछ रंगों को सोख लेती हैं और कुछ को परावर्तित कर देती है। या क्योंकि अणु प्रकाश में विभिन्न रंगों को विभिन्न तरीके से बिखरा देते हैं। इसलिए आकाश नीला, पीला, नारंगी या लाल दिखता है।

 

तो आकाश का रंग चार चीजें तय करती हैं। प्रकाश, आँखे, वातावरण और उस वातावरण में मौजूद क्या है।

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