सौर मंडल
सौर मंडल अंतरिक्ष में हमारा घर। हमारा सूरज सौर मंडल के बीचो बीच है। आठ ग्रह और लाखों छोटे-छोटे एस्ट्रॉयड या क्षुद्र ग्रह लगातार सूरज के चक्कर लगाते रहते हैं।
इन आठ ग्रहों को चार-चार में बांटा गया है। पहले चार में भाग रहे हैं जो हमारी पृथ्वी जैसे ही हैं।वो चार ग्रह जो गैस के बड़े बड़े गोले हैं।
1. बुध (Mercury)
2. शुक्र (Venus)
3. पृथ्वी (Earth)
4. मंगल (Mars)
5. वृहस्पति (Jupiter)
6. शनि (Saturn)
7. अरुण (Uranus)
8. वरुण (Neptun)
1. बुध (Mercury)
बुध सौरमंडल का पहला ग्रह है। यह सूरज के सबसे ज्यादा पास है। ये सभी ग्रहों में सबसे छोटा और सबसे हल्का है।
बुध या मरकरी ग्रह सूर्य का एक चक्कर लगाने के लिए जितना समय लेता है उससे कहीं ज्यादा समय वो अपनी धुरी पर गोल घूमने के लिए लेता है।
यानी उसका एक साल उसके एक दिन से छोटा होता है और इसी कारण इस ग्रह के तापमान में बहुत ज्यादा बदलाव आते रहते हैं।
मरकरी का ना तो कोई अपना वातावरण है और ना ही चंद्रमा।
2. शुक्र (Venus)
शुक्र, सूरज से दूसरे नंबर का यह ग्रह सौरमंडल के चमकते चमचमाते ग्रहों में से एक है और अब तक मनुष्य को जितने भी ग्रहों के बारे में पता है ये उनमें से सबसे गर्म है।
क्या तुम जानते हो कि शुक्र या वीनस पर तापमान कभी 437 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे नहीं आता। यानी रसोई घर में रखने वाला तेल शुक्र पर अपने आप उबलने लगेगा और उसमें से धुंआ भी आने लगेगा।
क्या सोच सकते हो 437 डिग्री सेंटीग्रेड कितना ज्यादा गर्म होगा यह ग्रह, शुक्र के पास भी कोई चंद्रमा नहीं है।
3. पृथ्वी (Earth)
हमारा घर यानी हमारी पृथ्वी जिसे अंग्रेजी में अर्थ कहते हैं। पृथ्वी इकलौता ऐसा ग्रह है जहां का तापमान ऐसा है जो पानी को तरल रूप में रहने देता है और यही पानी हमारे जीवन का स्रोत बनता है।
अब तक जाने गए ग्रहों में केवल पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जहां हमारा जीवन संभव है। पृथ्वी के पास अपना एक चंद्रमा है जिसे हम सबने देखा है।
4. मंगल (Mars)
मंगल या मार्स सूरज से चौथे नंबर का ग्रह है और सौरमंडल का यह दूसरा सबसे छोटा ग्रह है। मंगल या मार्स इतना छोटा है कि बड़ी मुश्किल से वहां पर वातावरण की एक पतली सी परत पाई जाती है।
और जीवन जीने के लिए वातावरण कितना जरूरी है यह तो तुम सब जानते हो मंगल की जमीन ढेर सारे ऊबड़ खाबड़ गड्ढों और ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से भरी हुई है। मंगल के पास दो छोटे-छोटे चंद्रमा हैं।
5. वृहस्पति (Jupiter)
वृहस्पति या जुपिटर, सौरमंडल का सबसे बड़ा और सबसे भारी ग्रह है ये मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम से बना है।
बृहस्पति के पास 67 चंद्रमा हैं।
6. शनि (Saturn)
शनि या सटर्न सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। पर इस बड़े से ग्रह का घनत्व सभी ग्रहों के मुकाबले सबसे कम है।
शनि का घनत्व इतना कम है कि अगर तुम्हें पानी का टब ले आओ और शनि को उसमें डाल दो तो अपना शनि लकड़ी की तरह उसमें तैरने लगेगा।
लोहे की तरह डूबेगा नहीं। शनि ग्रह अपने बढ़े हुए छल्लों के लिए भी जाना जाता है जो बड़ी आसानी से देख सकते हैं। इसके पास 62 चंद्रमा हैं।
7. अरुण (Uranus)
अरूण या यूरेनस। तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है और सबसे ठंडे ग्रहों में से एक है।
सभी गैस के बड़े गोलों में ये सबसे छोटा है और यूरेनस की सबसे अनूठी अजूबी बात है। इसकी धूुरी बाकी सब ग्रह एक खड़ी या टेढ़ी धुरी पर घूमते हैं पर यूरेनस की धुरी आड़ी है।
इसके पास 27 चंद्रमा है।
8. वरुण (Neptun)
वरुण या नेपच्यून। सौरमंडल का सबसे अंतिम ग्रह है और यह यूरेनस से काफी मिलता जुलता है। यह सूर्य से इतना दूर है कि नेपच्यून का एक साल पृथ्वी के 164 सालों जितना लंबा होता है।
नेपच्यून के पास 14 चंद्रमा हैं।
अगर आप ग्रहों के आकारों की तुलना करते हैं तो उनके बीच का अंतर और भी साफ हो जाता है। आकार और भार के हिसाब से वृहस्पति या ज्यूपिटर सबसे बड़ा है
और बुध या मर्करी सबसे छोटा लेकिन वृहस्पति या जुपिटर जैसे विशाल ग्रह की तुलना भी जब हम अपने सूरज से करते हैं तो सौरमंडल का ये सबसे बड़ा ग्रह भी छोटा सा लगने लगता है।
सूर्य (Sun)
हमारा सूरज न तो ग्रह है न सैटेलाइट या सौर मंडल का एक तारा है यानी इससे ऊर्जा निकलती है। इसका अपना प्रकाश होता है।
ग्रह इससे प्रकाश लेते हैं। हमारे सौर मंडल के भार का लगभग 99 प्रतिशत भार तो सूरज का ही बना होता है।
सूरज के केंद्र में लगभग 62 करोड़ टन हाइड्रोजन प्रति सेकंड हीलियम में बदलती रहती है। और इससे पैदा हुई ऊर्जा पृथ्वी पर हमारी जरूरतों को सालों तक पूरा करने के लिए सक्षम है।
लेकिन लगभग 50 करोड़ सालों में सूरज धीरे-धीरे और भी गर्म और गर्म होता चला जाएगा और एक समय आएगा जब ये गर्मी पृथ्वी के बाहरी परत को गला देगी।
तब सूरज बढ़ता चला जाएगा और या तो पृथ्वी को निगल जाएगा या कम से कम इसे लावा की एक समुद्र में बदल देगा।
मानव जीवन का अस्तित्व तब या तो खत्म हो जाएगा या तब हम निकल पड़ेंगे सौर मंडल में एक नयी धरती एक नये घर की तलाश में और क्या पता अगले पचास करोड़ सालों में इस रहस्यमयी आकाशगंगा का कौन सा अजूबा हमारा इन्तजार कर रहा हो।