क्या आप जानते हैं कि पौधों को वृद्धि के लिए जल की आवश्यकता होती है तथा पौधे जड़ों द्वारा खींचे गए जल का केवल एक से दो प्रतिशत उपयोग करते हैं और शेष को वाष्पोउत्सर्जन कहलाने वाली प्रक्रिया द्वारा बाहर छोड़ देते हैं।
रंध्र meaning in English – Stomata (स्टोमेटा)
यह कुछ विचित्र सी बात है न बिल्कुल ठीक। आइए देखते हैं यह कैसे होता है-
वाष्पोत्सर्जन में रंध्र की भूमिका
जल पत्तियों की सतह पर स्थित रंध्र कहलाने वाले छोटे-छोटे छिद्रों से वाष्पित होता है। यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण के दौरान होती है।
जब रंध्र खुला होता है तब प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न जल, वाष्प और ऑक्सीजन पत्ती से बाहर निकल जाती है। ठीक उसी समय प्रकाश संश्लेषण के लिए जरूरी कार्बन डाईऑक्साइड पत्तियों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
रंध्र का खुलना और बंद होना वातावरण में बदलावों जैसे कि प्रकाश, जल, तापमान, आर्द्रता और पत्तियों के भीतर कार्बन डायऑक्साइड की सांद्रता के प्रत्युत्तर में होता है।
रंध्र का खुलना और बंद होना द्वार कोशिकाएं कहलाने वाली दो विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा नियंत्रित होता है।
सूर्य के प्रकाश में जब प्रकाश संश्लेषण होता है द्वार कोशिकाएं जल से भर जाती हैं और फूल जाती हैं। रंध्र खुल जाता है, जलवाष्प और ऑक्सीजन बाहर निकल जाती है और कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती है।
अगर प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश नहीं होता या अगर पौधे को जल की कमी होती है तो द्वार कोशिकाएं जल छोड़ती हैं और सिकुड़ जाती हैं। रंध्र बंद हो जाता है और कोई विनिमय नहीं होता है।
इस प्रकार पौधों का जल संरक्षित रहता है।
कभी कभी दोपहर के समय अगर बाहर का तापमान बहुत बढ़ जाता है या पौधों की अधिक जल हानि होने लगती है तो रंध्र छिद्र बंद हो जाते हैं।
आपके द्वारा अभी सीखे गए ज्ञान के आधार पर आप क्या सोचते हैं कि आर्द्रता रंध्र के खुलने और बंद होने को कैसे प्रभावित करती है?