प्रकाश के परिक्षेपण के द्वारा इंद्रधनुष का निर्माण कैसे होता है? और इस तरीके से करता है प्रिज्म काम

क्या आपने कभी सोचा है कि वर्षा के तुरंत बाद आपको आकाश में इंद्रधनुष क्यों दिखाई देता है। यह चमकीले रंग कहां से आ जाते हैं।

हां इसे प्रकाश के परिक्षेपण की बड़ी घटना द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

आइए देखें कि हम अपना खुद का इंद्रधनुष किस प्रकार बना सकते हैं?

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इंद्रधनुष कैसे बनता है?

इंद्रधनुष कैसे बनाएं?

आपको इसके लिए एक श्वेत प्रकाश वाली टॉर्च, पिन होल वाले एक कार्डबोर्ड और कांच की एक प्रिज्म की आवश्यकता होगी।

एक बंद कमरे में कार्डबोर्ड को टॉर्च और प्रिज्म के बीच में एक मेज पर रख दे। पर्दे खींच दें और लाइटों के स्विच बंद कर दें जिससे कमरे में अंधेरा हो जाए।

टॉर्च का स्विच ऑन कर दें। प्रकाश का एक पतला पुंज छेद से होकर निकलता है और कांच के प्रिज्म पर पड़ता है। यें आश्चर्यजनक है ना

प्रकाश का परिक्षेपण

न्यूटन पहले इंद्रधनुष के वैज्ञानिक जिन्होंने इसका ज्ञान किया कि प्रकाश की श्वेत किरण जैसे कि सूर्य के प्रकाश की किरण विभिन्न रंगों का संयोजन होती है। जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म (Prism) में प्रवेश करता है तो यह अपरिवर्तित होकर सात विभिन्न रंगों की किरणें उत्पन्न करता है। प्रत्येक रंग के लिए अपवर्तन का कोण अलग-अलग होता है।

इस तरह से प्रत्येक रंग आपदित किरण के संदर्भ में एक भिन्न कोण पर मुड़ जाता है और रंग विभक्त हो जाते हैं।

प्रकाश के पुंज का इसके निर्माण के रंगों में विभक्त हो जाना प्रकाश का परिक्षेपण कहलाता है और रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम कहलाती है।

 

इंद्रधनुष

अब आप जानते हैं कि प्रकाश अपनी विभिन्न रंगों में किस तरह विभक्त हो जाता है।

आइये देखें कि इंद्रधनुष कैसे निर्मित होता है?

इंद्रधनुष का निर्माण कैसे होता है?

आकाश में इंद्रधनुष दो चीज़ों की सहायता से निर्मित होता है, सूर्य तथा जल की बूंदें।

ये जल की बूंदें वर्षा, मेघ या कुहासे के रूप में हो सकती हैं। सूर्य का प्रकाश वायु में मौजूद जल की बूंदों में प्रवेश करने पर मुड़ जाता है। जल की बूंदें सूर्य के प्रकाश को आन्तरिक परावर्तित कर देती हैं और यह प्रकाश वायु में बाहर निकलने पर पुनः अपवर्तित हो जाता है। इस तरह से प्रत्येक जल की बूँद एक प्रिज्म की तरह कार्य करती है और सूर्य के प्रकाश को प्ररिक्षेपित कर देती है। जल की ऐसी करोड़ों बूंदें एक साथ मिलकर आकाश में धनुष जैसे स्पेक्ट्रम की आकृति बना देती हैं।

 

परीवरणी शब्द विबग्योर (VIBGYOR) को प्रकाश के श्वेत पुंज में रंगों का क्रम याद रखने के लिए उपयोग किया जाता है। स्पेक्ट्रम में आप देख सकते हैं कि लाल रंग सबसे कम मुड़ता है और बैंगनी रंग सबसे अधिक मुड़ जाता है।

 

आकाश में इंद्रधनुष के रंगों का क्रम क्या है? 

बैंगनी (Violet)

जामुनी (Indigo Color)

नीला (Blue)

हरा (Green)

पीला (Yellow)

नारंगी (Orange)

लाल (Red)

 

आइए अब हमारे प्रिज्म और टॉर्च वाली प्रायोगिक व्यवस्था पर फिर से लौटें।

 

दोहरा परिक्षेपण

यदि हम निर्गामी स्पेक्ट्रम के सम्मुख एक और प्रिज्म रख दें तो क्या होगा? क्या आपने देखा कि आपने श्वेत प्रकाश का पुंज फिर से प्राप्त कर लिया।

 

यदि आप इन सातों रंगों को एक में मिला दें तो क्या होगा? क्या आपके विचार में श्वेत प्रकाश प्राप्त होगा?

दृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम के रंग पुनः संयोजित किए जाने पर श्वेत प्रकाश बनाते हैं। आइए इसे सिद्ध करने के लिए एक सरल प्रयोग करें।

कागज की एक चक्ती लें और इस पर सात भाग बनाएं। प्रत्येक भाग को दृश्य स्पेक्ट्रम के रंगों के क्रम के अनुसार रंग दे। अब चक्ती को घुमा दें चक्ती का रंग श्वेत दिखने लगता है। याद रखें कि चक्ती केवल सफेद प्रतीत होती है। यह वास्तव में श्वेत प्रकाश का परावर्तन नहीं करती है।

 

  1. इंद्रधनुष उपक्रम बाद याद रखने के लिए उसे कौन सा नाम दिया गया?

Ans. परीवरणी शब्द विबग्योर (VIBGYOR) को प्रकाश के श्वेत पुंज में रंगों का क्रम याद रखने के लिए उपयोग किया जाता है।

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