ब्लड प्रेशर क्या है?
ब्लड (Blood) – रक्त
प्रेशर (Pressure) – प्रेशर मतलब चलो देखते है, कुकर की सीटी क्यों बजती है। ऐसा कुकर के अंदर मौजूद भाप द्वारा लगाए गए दबाव के कारण होता है।
दबाव मतलब प्रेशर जब हम पौधों को पानी डाल रहे हो पर पानी में पर्याप्त प्रेशर नहीं है। ये प्रेशर कैसे बढ़ाया जाए। नल की टूटी पूरी खोलने पर पानी ज्यादा प्रेशर से आने लगा।
रक्त के बारे में जानने के लिए पहले रक्त के परिचय के बारे मे……और पढ़े।
रक्तचाप क्या होता है?
रक्त और प्रेशर के बीच क्या संबंध है चलो देखते है –
हृदय लगातार धड़कता रहता है और रक्त को एक खास दबाव से पूरे शरीर में भेजता है। इसी दबाव को रक्त दाब या रक्तचाप कहते हैं यानि ब्लड प्रेशर और इसी के कारण पूरे शरीर में ऑक्सीजन और अन्य पोषक पदार्थ पहुंचाए जाते हैं।
हृदय द्वारा रक्त पंप करने के कारण रक्त वहिनियों की दीवारों पर दबाव पड़ता है। इसी दबाव से ब्लड प्रेशर नापा जाता है। रक्तचाप मापने के उपकरण को रक्तचापमापी या स्फिग्मोमैनोमीटर कहते हैं। यह उपकरण काम कैसे करता है यह समझने के लिए रक्तचाप की जांच कैसे की जाती है। पहले इस के बारे मे जानते है। ब्लड प्रेशर हृदय के सिकुड़ने और फैलने पर निर्भर करता है।
सिस्टोलिक रक्त चाप और डायास्टोलिक रक्त चाप क्या होता है?
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सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Diastolic blood pressure)
जब हृदय सिकुड़ता है और रक्त वाहिनियों की दीवारों पर दबाब बढ़ जाता है। इसे प्रकोप चप या सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। एक स्वस्थ्य व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 से 120 मिलिमीटर ऑफ़ मरकयुरी के बीच में होता है।
- डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure)
हृदय के फैलते वक्त यह दबाव कम हो जाता है। इसे प्रसारक या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति का डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 60 से 80 मिलिमीटर ऑफ़ मरकयुरी के बीच होता है।
ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ जाता है?
हमारी रक्त वाहिनियां बहुत मजबूत और लचीली होती हैं जिससे वो रक्त द्वारा लगाए जाने वाले दबाव को आसानी से सह लेती हैं
लेकिन अगर कुछ कारणों की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता रहे तो यह रक्त प्रवाह के कार्य को खतरे में डाल सकता है।
रक्त का गाढ़ा होना रक्त में द्रव या पानी की मात्रा बढ़ना व रक्त वाहिनियों का व्यास यानी चौड़ाई कम होना इन सभी से खतरे पैदा होते हैं।
क्युकी ऐसा होने पर हृदय को ज्यादा बल लगाकर धड़कना पड़ता है और इसी वजह से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
ब्लड प्रेशर बढ़ जाने के घातक परिणाम
अगर यह स्थिति बनी रहती है तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
- इस बढ़े हुए दबाव के कारण रक्त वाहिनियों के अंदरूनी हिस्से को क्षति भी पहुंच सकती है।
- इस क्षति के कारण सूजन हो जाती है और उस जगह पर सफेद रक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं।
- रक्त में मौजूद वसा और कोलेस्ट्रॉल भी वहां पर एक परत बना देते हैं जिससे रक्त वाहिनी का अंदरूनी व्यास कम हो जाता है।
रक्त वाहिनी का अंदरूनी व्यास कम होने से क्या होता है।
ये समझने के लिए चलो। एक पाइप का मुंह बीच मे से थोड़ा बंद कर दें तो पानी पहले जितना ही निकलता है लेकिन उसका दबाव बढ़ जाता है और इसी तरह रक्त चाप यानी ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है।
अगर यह स्थिति बनी रहती है तो इससे रक्त प्रवाह प्रभावित होगा। रक्त प्रवाह रुक जाने से इन भागों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व कैसे मिलेंगे?
ऑक्सीजन की कमी से ये भाग मरने लगेंगे। अगर हृदय को रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिनियों को क्षति पहुंचती है या वो बंद हो जाती है तो दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक हो सकता है।
अगर यह दिमाग में होता है तो वहां भी दौरा यानी ब्रेन स्ट्रोक पड़ सकता है। इसका कोई इलाज है।
हां, बिल्कुल है जिस हिस्से में रुकावट है उसे अंदर से चौड़ा कर दो।
इसी ऑपरेशन को एंजियोप्लास्टी कहते हैं। कभी क्षतिग्रस्त रक्त वाहिनी के अंदर एक खोखली ट्यूब जिसे स्टेंट कहते हैं फिट कर दिया जाता है। इससे रक्त प्रवाह दोबारा अच्छे से शुरू हो जाता है।
उच्च रक्त चाप वाले बरते ये सावधानियां
अगर तुम्हारा रक्तचाप ज्यादा है तो तुमको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी।
- ज्यादा नमकीन नहीं खानी
- मिठाई कम खाएं
- तले हुए खाने से दूर रहें
- गुस्से और चिंता पर नियंत्रण करना
- ज्यादा तनाव से दूर रहना
- पर्याप्त नींद लें
समय-समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहे और साथ ही ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाते रहे।
हृदय दिन मे कितनी बार धड़कता है?
जरा सोचो! ह्रदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है और रक्त पम्प करता है। इसका मतलब है कि एक दिन में वह तीन लाख बार और एक साल में साढ़े तीन करोड़ बार धड़कता है।
कल्पना करो कि हमारी बेचारी रक्त वाहिनियां कितना दबाव सहती हैं।
मगर चिंता मत करो हमारी रक्त वाहिनियां इस दबाव को आसानी से बर्दाश्त करके हमें स्वस्थ रखती हैं। इसीलिए इन रक्त वाहिनियों की देखभाल करना भी हमारी जिम्मेदारी।