उत्सर्जन तंत्र: वृक्क की कार्यप्रणाली और नेफ्रॉन की कार्यप्रणाली से मूत्र का निर्माण केसे होता हैं?

हम जानते हैं कि हमारे शरीर में कोशिकाएं विभिन्न कार्य संपन्न करती हैं। ऐसा करते हुए वे यूरिया जैसे विषैले अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करती हैं जिन्हें शरीर से बाहर निकालना आवश्यक होता है।

लेकिन हम इन अपशिष्ट पदार्थों को बाहर कैसे निकालते हैं हम इसे उत्सर्जन प्रक्रिया के द्वारा करते हैं।

उत्सर्जन तंत्र

हमारे वृक्कोंं के अलावा उत्सर्जन तंत्र में एक जोड़े मूत्र वाहिनियां होती हैं तथा मूत्राशय और मूत्र मार्ग होता है।

उत्सर्जन तंत्र के मुख्य अंग कौन से हैं, उत्सर्जन का क्या अर्थ है, उत्सर्जन कितने प्रकार के होते हैं, यूरिक अम्ल का उत्सर्जन करने वाले प्राणियों को क्या कहते हैं

उत्सर्जन तंत्र के अंग

1. वृक्क

2. मूत्र वाहिनियां

3. मूत्राशय

4. मूत्र मार्ग

आइए अब देखें कि हमारा उत्सर्जन तंत्र किस तरह से कार्य करता है।

उत्सर्जन प्रक्रिया

  • वृक्क धमनी अपद्रव्य मिश्रित ऑक्सीजन युक्त रक्त को वृक्क तक पहुंचाता है।
  • वृक्क रक्त से कचरा साफ करता है।
  • यह शोधित ऑक्सीजन रहित रक्त फिर वृक्क शिरा द्वारा वृक्क से बाहर निकाल दिया जाता है।
  • यह सभी अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा दिलाने के लिए रुधिर को छानने का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न करते हैं।
  • शरीर के रक्त में मौजूद सभी हानिकारक पदार्थ वृक्क से होकर निकलते हैं।
  • वृक्क रक्त से सभी हानिकारक पदार्थों को निकालकर अलग कर देता है और छने हुए रक्त को वापस शरीर में भेज देता है।
  • तैयार मूत्र संग्राहक नलिकाओं द्वारा मूत्र वाहिकाओं में चले जाता है।
  • मूत्र वाहिकाएं मूत्र को मूत्राशय में ले जाता है जहां वह जमा हो जाता है।
  • अपशिष्ट पदार्थ को मूत्र मार्ग के द्वारा मूत्र के रूप में निकाल दिया जाता हैं।

1. वृक्क

वृक्क या किडनी (Kidney) शरीर के प्राथमिक उत्सर्जन अंग हैं। उत्सर्जन तंत्र में जादुई अंकों का एक जोड़ा होता है, जो वृक्क कहलाते हैं।

वृक्क को किडनी (Kidney) या गुर्दा भी कहते है।

वृक्क कहाँ पाया जाता है?

वृक्क लाल रंग के सेम किसी आकृति वाले अंग होते हैं जो वक्ष के नीचे पीठ के पीछे की ओर स्थित होते हैं।

वृक्क (Kidney) के मुख्य कार्य

  • वे रक्त से उत्सर्जित पदार्थों को हटाने और लवण तथा जल की सापेक्ष सांद्रता को नियंत्रित रखने के लिए रक्त को शोधित करते हैं।
  • वृक्क रक्त से कचरा साफ करता है।
  • यह सभी अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा दिलाने के लिए रुधिर को छानने का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न करते हैं।
  • वृक्क रक्त से सभी हानिकारक पदार्थों को निकालकर अलग कर देता है और छने हुए रक्त को वापस शरीर में भेज देता है।

आइये देखें कि वृक्क यह कार्य किसकी मदद से करते हैं?

रक्त से हानिकारक पदार्थों को निकालने में नेफ्रॉन मदद करती है जो कि वृक्क के अंदर पाई जाती है।

नेफ्रॉन

नेफ्रॉन किडनी या वृक्क के अंदर पाया जाता है। नेफ्रॉन में महीन कोशिकाएं बारीक मूत्र वाहक नलिकाओं से गुंथी हुई होती हैं।

किडनी में नेफ्रॉन की संख्या

प्रतेक वृक्क में लगभग 10 लाख पतली छनन इकाइयाँ होती हैं जो नेफ्रॉन कहलाती हैं।

दोनों वृक्को में लगभग बीस लाख नलिकाएं होती हैं।

रक्त का शुद्धिकरण (purification of blood)

रक्त का वास्तविक शुद्धिकरण उत्सर्जन तंत्र मे वृक्क के भीतर नेफ्रॉन या वृकाणु कहलाने वाली छोटी नलिकाओं के अंदर होता है।

नेफ्रॉन का कार्य

यह (नेफ्रॉन) अपद्रव्य को चरणबद्ध तरीके से साफ करता है।

इन सभी नेफ्रॉन में एक पतली कोशिका होती है जो अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रक्त को लाती है और ग्लोमेरूल्स नामक एक फिल्टर होता है जो इस रक्त को छान देता है। इनमें भी एक कोशिका होती है जो छने हुए रक्त को वापस शरीर में ले जाती है और एक नलिका होती है जिससे होकर अपशिष्ट पदार्थ मूत्र के रूप में निकल जाता है।

नेफ्रॉन में सफाई के चरण

इसके नेफ्रॉन में सफाई के तीन चरण है :-

  • गुच्छीय निस्यंद
  • पुनः अवशोषण
  • स्त्रवण

आइए इन चरणों पर एक निकट द्रष्टि डालें।

  • गुच्छीय निस्यंद

ग्लोमेरुल्स या गुच्छे में प्रवेश करने के लिए रक्त वृक्क धमनी से उच्च दबाव में प्रवाहित होता है, जहां वह बाउमैन कैप्सूल में नियंत्रित होता है।

गुच्छीय निस्यंद कहलाने वाले इस चरण के दौरान रक्त से यूरिया, ग्लूकोज, अमीनो, अम्ल, विटामिन, खनिज, जल और लवण ग्लोमेरुलर निस्यंदक बनाने के लिए निस्यंदीक कर दिए जाते हैं।

  • पुनः अवशोषण

जैसे-जैसे निस्यंद नलिका से गुजरता है। ग्लूकोज, अमीनो, अम्ल, विटामिन, खनिज, सर्वाधिक जल का अवशोषण और कुछ लवण समीपस्थ या प्रथम संवलित नलिका में रक्त में पुनः अवशोषित कर लिए जाते हैं।

जल स्वतः रूप से वापस वृक्क में हेनले लूप (Henle loop) में पुनः अवशोषित कर लिया जाता है और लवण दूरस्थ संवलित नलिका में पुनः अवशोषित हो जाता है। नलिका के छोर तक पहुँचने वाला विलयन सांद्रित मूत्र होता है।

  • स्त्रवण

पदार्थ जैसे अतिरिक्त पोटैशियम और हाइड्रोजन आयन तथा लिए गए ड्रग्स रक्त कोशिकाओं से स्रावित होकर मूत्र में चले जाते हैं। यह प्रक्रिया नालीदार स्त्रवण कहलाती है।

तैयार मूत्र संग्राहक नलिकाओं द्वारा मूत्र वाहिकाओं में चले जाता है।

नेफ्रॉन का चित्र बनाने का तरीका

2. मूत्र वाहिनियां

इसमें दो प्रकार की वाहिनियां होती है।

  • वृक्क धमनी

वृक्क धमनी शरीर के सभी भागों से ऑक्सीजन समृद्ध एवं अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रक्त को वृक्कों तक लाती है। तब वृक्क इन अपशिष्टों को छानकर रक्त से अलग कर देते हैं।

  • वृक्क शिरा

छना हुआ कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध रक्त वृक्क से वृक्क शिरा द्वारा परिवहन करके वापस भेजा जाता है।

अपशिष्ट पदार्थ छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकाला जाता है। यहां मूत्र वृक्को से मूत्र वाहिनियों के माध्यम से होकर मूत्राशय तक जाता है।

3. मूत्राशय

मूत्राशय एक चिकनी अनैच्छिक पेशीय थैली होती है जो मूत्र को संचित करती है।

4. मूत्रमार्ग

जब मूत्राशय भर जाता है तो शरीर से मूत्र को मूत्रमार्ग के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।

मूत्र का निर्माण

अपद्रव्य और दूसरे अवांछित पदार्थ को मूत्र बनने की शुद्धिकरण प्रक्रिया के दौरान हटा दिया जाता है।

मूत्र यूरिया, अन्य विषैले अपशिष्ट, अतिरिक्त जल तथा लवण से बना होता है ।

मूत्र वृक्क से मूत्र वाहिनी द्वारा मूत्राशय की ओर प्रवाहित होता है जहां यह मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से उत्सर्जित होने तक जमा रहता है।

एक व्यस्क मानव प्रतिदिन लगभग एक से एक दशमलव आठ लीटर मूत्र विसर्जित करता है।

मनुष्य केवल एक वृक्क के साथ भी जीवित रह सकता है।

इस तरह से उत्सर्जन तंत्र शरीर में लवणों और जल का स्तर संतुलित रखते हुए तथा अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हुए शरीर के आंतरिक पर्यावरण को स्थायी बनाए रखने में हमारे लिए सहायक है और यह सब हमारी शरीर के अंदर होता रहता है जिसके बारे में हमें पता तक नहीं चल पाता। ये आश्चर्यजनक है न।

वृक्क, किडनी (Kidney) या गुर्दे से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न.1 – nephari filtration ke pani ka sarvadhik avshoshan nephron ke kis bhag dwara hai

उत्तर  – Jab panni punh avshoshan (पुनः अवशोषण) wale chran se gujarta hai tab nephari filtration ke pani ka sarvadhik avshoshan nephron ke हेनले लूप (Henle loop) mai hota h

प्रश्न.2 – nephron ka vah bhag jo sodium ke sakariya punah avshoshan ka karya karta kya hai

उत्तर  – nephron ke दुरुस्त सवंलित नलिका (DCT) wale bhag mai sodium (Na) ka avshoshan hota hai

प्रश्न.3 – insan ka nefrone kharab hone par kya hota hai

उत्तर – ek kidney mai 10 lakh neferon hote h aur pure sarir mai do kidneya hoti h jinme kul 20lakh nefrone hote h. agar ek kidney ki sabhi nephron puri trah kharab ho jati h to kidney khrab ho jati h lekin dusri kidney yeh karya karne lag jati h. To ek kidney khrab ho jaye to dusri kidney uska kam bhi kr leti h aur manushya Keval ek kidney ke sath bhi jivit rah sakta hai

प्रश्न.4 – nephron kya hai ek swachh namankit chitra ke sath manav nefran ka vanrn kare,

उत्तर – nephron vrakk ki channan ikai h jo rakt sai vishale aur hanikarak padhartho ko channe ka kary karti h

 प्रश्न.5 -nephron ka kya karya hai,

उत्तर – यह nephron (नेफ्रॉन) अपद्रव्य aur blood को चरणबद्ध तरीके से साफ करता है।

प्रश्न.6 -nefron,neuron,glomerulus aur women samput me kaun utsarji ang nahin hai

उत्तर – neuron utsarji ang nahin hai

प्रश्न.7 – nephron kya chij mein paya jata hai

उत्तर –  nephron kidney ( वृक्क) mai paya jata hai

प्रश्न.8 -nephron ka konsa part me mini absorption hota hai

उत्तर – Bowman’s capsule (बाउमैन कैप्सूल) wale part me mini absorption hota hai

प्रश्न.9 -nefron me urin kaise bnate h (नेफ्रॉन में मूत्र निर्माण क्रियाविधि)

उत्तर – nefron mai ek patli koshika hoti h, jo blood ko glomerulas namk filter ki madad sai vishele aur hanikarak pdartho ko bahar nikalte h aur purifies blood ko vapas sarrir mai bhej deti h. fir vahi vishele padartho sai urine banta h

प्रश्न.10 -kya nephron ko dialysis ki thaili kahte hai (नेफ्रॉन को डायलिसिस थैली क्यों कहा जाता है?)

उत्तर – nephron ko dialysis ki thaili  (नेफ्रॉन को डायलिसिस थैली) kahte hai kyunki yeh blood ko purify (रक्त को सफ़ाई) karne ka kam karti h

प्रश्न.11 -Two important works of kidney in Hindi

उत्तर – 1. blood ko purify karti h aur

  1. Sarir sai toxic substances ko bahar nikalti hai

प्रश्न.12 – बड़ी आंत का पानी अवशोषित होकर लिवर में जाता या फिर किडनी मे

उत्तर – बड़ी आंत का पानी दोबारा रक्त मे अवशोषित होकर छनने के लिए किडनी मे जाता है।

प्रश्न.13 – वृक्क कहाँ पाया जाता है?

उत्तर – वृक्क वक्ष गुहा के नीचे पीठ के पीछे की ओर स्थित जगह पर पाए जाते हैं।

प्रश्न.14 – नेफ्रॉन में परा निसयंदन पुनःअवशोषण विधीया कहां होता है

उत्तर – नेफ्रॉन में पूरा निसयंदन पुनः अवशोषण की विधि प्रथम संवलित नलिका और हेनले लूप में होता है जहाँ रक्त से जल और लवण पुनः अवशोषण कर लिया जाता हैं।

प्रश्न.15 – यदि हमारे वृक्क कार्य करना बंद कर दे तो क्या होगा?

उत्तर – यदि हमारे शरीर के दोनों वृक्क कार्य करना बंद कर दे तो शरीर मे हानिकारक पदार्थो की मात्रा बढ़ जाएगी और धीरे-धीरे शरीर काम करना बंद कर देगा।

प्रश्न.16 -वृक्क की छनन इकाई

उत्तर – नेफ्रॉन वृक्क की पतली छनन इकाई हैं।

प्रश्न.17 – किडनी में नेफ्रॉन कैसे बढे?

उत्तर – किडनी मे नेफ्रॉन का चित्र सहित boseducation and basic of science पर अच्छे से समझकर पढ़े।

प्रश्न.18 – मानव वृक्क अनुप्रस्थ काट का चित्र

 

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