विद्युत मोटर कैसे कार्य करती है? और फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम

परिचय

हम अपने दैनिक में जीवन विद्युत उपकरणौ का उपयोग करते हैं।

क्या आपको पता है कि इनके अंदर ऐसा क्या है जो इन्हें घुमाता है। यह एक विद्युत मोटर है।

यह मोटर यांत्रिक घूर्णन गति पैदा करने के लिए विद्युत धारा का उपयोग करती है।

विद्युत मोटर कैसे कार्य करती है 

आइए जानते है की DC विद्युत मोटर किस प्रकार कार्य करती है।

एक विद्युत मोटर में निम्न भाग होती हैं।

एक क्षेत्र चुम्बक, एक दिक्परिवर्तक, एक आर्मेचर, एक धुरी और एक विद्युत स्रोत जैसे एक बैटरी।

 

सामान्यतः एक मोटर में आर्मेचर, एक नर्म लोकेन्द्र भाग पर लिपटे तांबे के तार के कई फेरों की बनी होती है।

लेकिन सरलता के लिए हम केवल एक अकेली तांबे की कुण्डली ABCD पर ध्यान देंगे।

आर्मेचर को एक स्थायी क्षेत्र चुम्बक के दोनों ध्रुवों के मध्य रखा जाता है।

आर्मेचर के दोनों सिरों को एक विभक्त वलय के दो अलग-अलग हिस्सों से जोड़ा जाता है जिसे दिक्परिवर्तक कहते हैं।

 

दो हिस्सों P और Q वाली विभक्त वलय धूरी के साथ जुड़ी होती है लेकिन वलय के दोनों हिस्से और धुरी एक दूसरे से विद्युत रोधी कर दिए जाते हैं।

हालांकि विभक्त वलय दो स्थिर संपर्क बिंदुओं X और Y द्वारा बैटरी से जुड़ी होती हैं जिन्हें ब्रुश कहते हैं।

 

फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम 

अपने बाएं हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा को एक दूसरे के लम्बवत फैलाएं।

मध्यमा विद्युत धारा के प्रवाह को इंगित करती है।

तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताती है और अंगूठा चालक पर आरोपित बल की दशा की ओर संकेत करता है।

 

जब आप परिपथ का स्विच चालू करते हैं तो विद्युत धारा ब्रुश X से गुजरकर कुण्डली ABCD से प्रवाहित होती हुई ब्रुश Y से वापस बैटरी में पहुंच जाती है।

ध्यान दें कि क्षेत्र चुम्बक धारा के प्रवाह के लम्बवत एक चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित करता है। आर्मेचर की भुजा AB को देखें।

फ्लेमिश के वाम हस्त नियम को लागू करके हम पाएंगे कि इस पर नीचे की ओर कार्यरत बल लगता है।

अब बुझा CDको देखें। पुनः फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम को लागू करने पर हम पाते हैं कि भुजा CD पर कार्यरत बल की दिशा ऊपर की ओर है।

बराबर और विपरीत बल आर्मेचर पर एक आघूर्ण पैदा करते हैं जो इसे आधा चक्कर घुमाता है।

जब आर्मेचर आधा चक्कर पूरा कर लेता है तो विभक्त वलय का आधा भाग P बैटरी के ऋण टर्मिनल से जुड़ जाता है जबकि आधा भाग Q धन टर्मिनल से जुड़ जाता है।

 

इससे कुण्डली ABCD से धारा का प्रवाह उत्क्रमित हो जाता है क्योंकि विभक्त वलय या दिक्परिवर्तक आर्मेचर से धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता करता है।

आर्मेचर की भुजा CD का अवलोकन करें।

फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम लागू करने पर हम पाएंगे कि इस पर नीचे की ओर कार्यरत एक बल लगता है।

 

अब भुजा AB को देखें।

पुनः फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम को लागू करने पर हम पाते हैं कि भुजा AB पर बल ऊपर की ओर कार्यरत है।

चूंकि नीचे की ओर और ऊपर की ओर बल वैसे ही रहते हैं इसलिए आर्मेचर उसी दिशा में आधा चक्कर और घूम जाता है।

जब तक कुण्डली में धारा प्रवाहित होती रहती है कुंडली और धुरी घूर्णन करती रहती है।

विद्युत उपकरणों में मोटर की धुरी विद्युत मिश्र को या पंखे के ब्लेड्स जैसे पुर्जों से जुड़ी होती है।

 

मोटर की चाल किस पर निर्भर करती है।

  • तार के कुंडली से प्रवाहित होने वाली धारा की मात्रा।
  • तार के कुण्डली की लंबाई।
  •  चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करती है।

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