क्या कभी दुर्घटना के कारण आपकी कोहनि छिल गई है, आपकी अंगुलियां जल या कट गई है, क्या आपने दर्द महसूस किया? किस तरह से प्रभावित जगह का उपचार किया?
आपकी शरीर में कुछ हद तक क्षतिग्रस्त हिस्सों को ठीक करने की योग्यता है।
यहां वास्तव में की ऊतको के उन्नत और पूर्णतया समन्वित्त प्रणाली जो एक साथ कार्य करते हैं, यह उनके कारण होता है।
ऊतको के प्रकार
एक जंतु का शरीर और मानव शरीर मुख्यता है चार प्रकार के मौलिक ऊत्तको से बने हैं।
1. एपिथीलियमी ऊतक
2. पेशीय उत्तक
3. संयोजी उत्तक
4. तंत्रिका उत्तक
1. एपिथीलियमी ऊतक
एपिथीलियमी ऊतक जानवरों के शरीर में पाई जाने वाली सुरक्षात्मक आवरण (कवच) होते हैं।
यह त्वचा की सतह का निर्माणयह त्वचा की सतह का निर्माण शरीर के विभिन्न प्रकार के छिद्रों और नलियों को भरते और आंतरिक अंगों को ढंकते है।
एपिथीलियमी ऊतक एक दूसरे से नजदीक से जुड़ी हुई कोशिकाओं से बनी हुई है, जो समतल सीटों में व्यवस्थित होते हैं।
इन्हें 4 रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
(I) वर्गाकार एपिथीलियमी ऊतक
(II) घनाकार एपिथीलियमी ऊतक
(III) स्तंभाकार एपिथीलियमी ऊतक
(I) वर्गाकार एपिथीलियमी ऊतक
संरचना :-
- सरल वर्गाकार एपिथीलियमी कोशिकाएं बहुत ही ज्यादा पतली और चपटी होती है। और एक नाजुक सी लाइनिंग और अस्तर बनाती है।
- जब यह कोशिकाएं परतों के ढंग में व्यवस्थित होती है तब उन्हें स्थगित वर्गाकार कोशिकाएं कहते हैं।
कार्य :-
- वर्गाकार एपिथीलियम एपिथीलियमी पदार्थ को अपने माध्यम से चयनशील परिवहन की सुविधा देती है।
- शरीर के आंतरिक अंगों की सुरक्षा करती है।
(II) घनाकार एपिथीलियमी ऊतक
संरचना :-
घनाकार एपीथिलियम मे घन के आकार की कोशिकाएं होती है।
कार्य :-
- घनाकार एपिथीलियम गुर्दे की नलिया का अस्तर या लाइनिंग बनाती है और लार ग्रंथियों की नलिया बनाती है। जहां यह तांत्रिक सहारा प्रदान करती है।
- उत्सर्जन, अवशोषण और स्त्राव प्रक्रिया से संबंधित होती है।
(III) स्तंभाकार एपिथीलियमी ऊतक
संरचना :-
- स्तंभाकार एपिथीलियमीक में लंबी, पतली और स्तंभ के तरह कोशिकाएं होती है।
- कुछ में सिलिया (पक्ष्माभ) होती है, जो कि एपिथीलियमीक कोशिकाओं के बाहरी सतह पर बाल जैसे प्रक्षेप होती है।
कार्य :-
- पेट के आंतरिक सतह का निर्माण, पाचन प्रणाली और श्वसन प्रणाली का निर्माण करती है।
- सुरक्षा करना, अवशोषण करना और स्त्राव करना इनके मुख्य कार्य है।
2. पेशीय उत्तक
जंतु के शरीर की पेशियों का निर्माण पेशीय ऊतक करते हैं। इनमें लंबी, पतली कोशिकाएं होती है। जिन्हें पेशीय रेशे कहते हैं। यह ऊतक पेशीय संकुचन द्वारा शरीर को गतिविधियों के योग्य बनाती हैं।
पेशीय ऊतको के तीन प्रकार हैं –
(I)ऐच्छिक पेशीय ऊतक
(II)अनएच्छिक पेशिय उत्तक
(III)हृदय की पेशिय उत्तक
(I)ऐच्छिक पेशीय ऊतक
संरचना :-
- ऐच्छिक पेशिय ऊतक सामान्यतः कंडरो द्वारा कंकाल की हड्डियों से जुड़े हुए होते हैं। और शरीर के स्वैच्छिक गतिविधियों से संबंधित है। यह पेशीय रेशों से बने हुए हैं।
- सूक्ष्मदर्शी में ऐच्छिय पेशीय ऊतक बारी-बारी से हल्का और गहरा बैंड को दर्शाता है।
कोशिका :-
इस ऊतक की कोशिकाएं लंबी, बेलनाकार, शाखा-रहित और उसमें कई केंद्रक (बहु केंद्रक) होते हैं।
कार्य :-
गति के लिए और शरीर के अन्य सभी स्वैच्छिक गतियों के लिए बल को उपलब्ध कराते हैं।
(II)अनएच्छिक पेशिय उत्तक
संरचना :-
यह बहुत ही कोमल और मुलायम पेशीय ऊतक होता है।
कोशिका :-
सूक्ष्मदर्शी यंत्र में अनएच्छिक पेशिय उत्तक एक साफ रेखा में व्यवस्थित एक केंद्रक वाली कोशिकाओं के साथ धुरी के आकार की कोशिकाएं दर्शाता है।
कार्य :-
यह शरीर की अनएच्छिक गतिविधियों से संबंधित है।
शरीर की अनिच्छापूर्वक गलियों पर नियंत्रण रखती है।
(III)हृदय की पेशिय उत्तक
संरचना :-
हृदय की पेशीय ऊतक अनैच्छिक होती है और हृदय की दीवार का निर्माण करती है। यह शरीर में ओर किसी भी जगह नहीं पाई जाती है।
कोशिका :-
- ऐच्छिक और बहूकेंद्रीय होती है।
- केंद्रक मध्य में स्थित होता है। और पेशी की लंबाई के लिए बहुत सारी कोशिकाएं जुड़ती है।
- इसकी कोशिकाएं शाखाओं (शाखायुक्त) जैसी होती है
कार्य :-
शरीर की अनैच्छिक गतियों को ह्रदय की पेशियां नियंत्रित करती है।