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प्रतिरक्षण तंत्र : चोट लगने पर प्रतिरक्षण तंत्र कैसे कार्य करता है और टीका क्यों लगाते है

प्रतिरक्षण तंत्र

जब कभी भी हमारा शरीर किसी जीवाणु या विषाणु का सामना करता है तो क्या हम बीमार हो जाते हैं। नहीं हमेशा तो नहीं यह इसलिए होता है।

क्योंकि हमारा प्रतिरक्षण तंत्र हर समय हमारी रक्षा उन कीटाणुओं से करता है जो हमें अस्वस्थ बनाने में सक्षम होते हैं।

रक्षा की पहली पंक्ति त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली, पसीना और शरीर द्वारा उत्पन्न दूसरे रसायन और इसके बाद सूजन है।

कभी-कभी ये रक्षा पंक्तियां असफल हो जाती हैं और सूक्ष्म जीव हमारे शरीर में प्रवेश पा जाते हैं। एक बार शरीर के अंदर चले जाने पर वे शरीर की कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देते हैं।

बड़ी संख्या में गुणित होते हैं और सहज छोड़ना शुरू कर देते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आपके शरीर में कोई घाव हो तो प्रतिजन आपके शरीर में इस घाव के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं।

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लिम्फोसाइट

अब प्रतिरक्षण तंत्र की विशेषीकृत कोशिकाएं जो लिम्फो साईट कहलाती है इस खतरे को भांप लेती है। सूक्ष्म जीव विजातीय तत्व या प्रतिजन के रूप में पहचाने जाते हैं।

लिम्फोसाइट दो तरह के होते हैं

1.टी कोशिका लिम्फोसाइट

2.बी कोशिका लिम्फोसाइट

 

1.टी कोशिका लिम्फोसाइट

टी कोशिका न केवल हमला करती है और संक्रमित कोशिकाओं को मारती है बल्कि बी कोशिकाओं को प्रतिरक्षी निर्माण के लिए भी सक्रिय करती है।

2.बी कोशिका लिम्फोसाइट

बी कोशिका को प्रतिरक्षी निर्माण के लिए भी सक्रिय होती है।

प्रतिरक्षण प्रत्युत्तर

बी कोशिका द्वारा निर्मित प्रतिरक्षी सूक्ष्म जीवों से लिपट कर उसे पुनः रोपण होने या आगे कोशिकाओं पर हमला करने से रोकती है। सूक्ष्म जीवी क्रियाएँ रुक जाती हैं यह प्रतिरक्षण प्रत्युत्तर कहलाता है।

इस प्रकार शरीर प्रतिरक्षण अर्जित करता है। 3 कोशिकाएं स्मृति टी कोशिकाएं बन जाती हैं और वे सूक्ष्म जीव से संबंधित सभी जानकारियां याद रखते हैं।

अगली बार जब सूक्ष्म जीव शरीर में प्रवेश करता है बी कोशिकाएं अधिक तेजी से और भारी मात्रा में प्रतिरक्षी उत्पन्न करती हैं।

और सूक्ष्म जीवी क्रियाओं को पूर्णतः रोक देती हैं। यह सहज प्रतिरक्षण कहलाता है।

टीकाकरण

किसी व्यक्ति में प्रतिरक्षण को टीके की सहायता से भी प्रेरित किया जा सकता है। टीका इंजेक्शन के माध्यम से किसी नस या पेशी में प्रवेश कराया जा सकता है या मुंह से भी दिया जा सकता है।

बीमारी रोकने के लिए टीका लेना टीकाकरण कहलाता है। टीका मृत सूक्ष्मजीवी सूक्ष्म जीवों के टुकड़े या जीवित सूक्ष्म जीवों से बनाया जाता है।

जिसका संयोजन बदलता रहता है। ये बीमारी पैदा नहीं करते वरन एक प्रतिरक्षण प्रत्युत्तर उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।

शरीर में प्रवेश कराने पर टीका शरीर के प्राकृतिक रक्षकों को उद्दीप्त करता है और एक रक्षात्मक प्रत्युत्तर को उत्तेजित करता है।

स्मृति कोशिकाएं आक्रमणकारी रोगजनक विषाणुओं से संबंधित सभी जानकारियों को याद रखती हैं। अब जब असली सूक्ष्मजीवी से सामना होता है वे तेजी से नष्ट हो जाता है और व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता।

हम सभी का बचपन में तपेदिक, पोलियो, मीजल्स, गलगंठ और खसरा के टीके के लिए टीकाकरण हो चुका है।

टीकाकरण शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र को एक संक्रमण से शरीर की रक्षा के लिए संक्रामक कारकों को पहचानने के योग्य बनाता है।

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