पूरी तरह से खिले हुए पुष्पी पौधों को देखने पर बहुत प्रसन्नता होती है।
क्या आप जानते हैं कि इन पौधों में पुष्प क्या भूमिका निभाते हैं आइए पता लगाएं।
पुष्पी पौधो की जनन इकाई क्या है ?
पुष्प, पुष्पी पौधों की जनन इकाई है।
इनमें नर (पुंकेसर) और मादा (अंडप) जनन अंग होते हैं।
पुष्प जिनमें पुंकेसर और अंडप दोनों होते हैं द्विलिंगी कहलाते हैं।
एकलिंगी पुष्पों में या तो पुंकेसर या अंडप होते हैं।
जनन में पुष्पों की भूमिका
पुष्प में परागकोष, परागण उत्पन्न करते हैं जिनमें नर युग्मक होते हैं
प्रत्येक परिपक्व परागण के भीतर दो केंद्रक, नलिका केंद्रक और जनन केंद्रक होते हैं। ये केंद्र जनन प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
पुष्प का अंडाशय बीजाण उत्पन्न करता है। जिनमे अंड कोशिका या मादा युग्मक होता है। बीजाण के आठ केंद्रको में से ध्रुवीय और अंड कोशिका जनन की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
जनन करने के लिए एक परागण। सबसे पहले पुषप के वर्तिकाग्र पहुंचता है।
परागण
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा परागण पुष्प के परागकोष से वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं परागण कहलाते है।
परागण के प्रकार
1.पर-परागण
2.स्वपरागण
1.पर-परागण
जब पराग एक पुष्प के पुंकेसर से दूसरे पौधे पर पुष्प के वर्तिका तक स्थानांतरित किए जाते हैं तो यह परागण कहलाता है।
2.स्वपरागण
जब परागण एक ही पुष्प के भीतर या उसी पौधे दूसरे पुष्प के भीतर होता है तो यह स्वपरागण कहलाता है।
पुष्पों में निषेचन
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परागण सदैव समान प्रजातियों से संबंधित पौधों के बीच होता है।
बाद में एक परागण सही पौधे की वर्तिकाग्र पर पहुंचता है।
एक पराग नलिका परागण से विकसित होती है और वर्तिकाग्र से अंडाशय तक इस का मार्ग बनाती है। परागण में स्थित जनक केंद्र विभाजित होकर दो शुक्र केंद्र बनाती है।
दो शुक्र केंद्र पराग नलिका से होते हुए बीजांड में बीजांड द्वार प्रवेश करते हैं।
बीजांड द्वार बीजांड में एक महीन छिद्र है।
एक शुक्र केंद्र अंड कोशिका के साथ संग्रहीत होकर युग्मनज बनाता है।
दूसरा शुक्र के बीजांड के ध्रुवी सनलहित होकर भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है।
यह दोहरे निषेचन की प्रक्रिया पूर्ण करता है। निषेचन के बाद अंडाशय फल में विकसित हो जाता है।
निषेचन के बाद परिवर्तन
बीजांड बीज में रूपांतरित हो जाते हैं।
बीच में भ्रूणपोष, भ्रूणपोष केन्द्रक से बना पोषक संग्रहण पुतक होता है।
निषेचित अंड कोशिका या युगनज भ्रूण में रूपांतरित हो जाता है यह पुष्पी पौधों में लेंगिक जन्म की प्रक्रिया पूर्ण करता है।