अपने आसपास देखें जो पेन आपके हाथ में हैं आपके पास रखा पेंसिल बॉक्स, आपका लंच बॉक्स और यहां तक कि आपका स्कूल बैग आपको क्या लगता है ये सब किस चीज से बने हैं।
घर पर अपने आसपास फिर से देखें आपके खिलौने, सब्जी की टोकरी, बाथरूम में रखी बाल्टी, कंघा, प्लास्टिक की थैली, डिब्बा तथा कंप्यूटर का केस।
आपको क्या लगता है ये सब किस चीज से बने हैं। अब तक आपने अंदाजा लगा लिया होगा कि ये सब वस्तुएं कैसे बनी हैं। ये क्या है। बिल्कुल सही ये सब प्लास्टिक से बनी है।
प्लास्टिक ने हमारी जीवन जीने का अंदाज बदल लिया है क्योंकि प्लास्टिक हल्के आसानी से आकार में ढलने वाले तथा विभिन्न रंगों में रंगे जा सकने वाले होते हैं।
प्लास्टिक मजबूत होता है तथा विभिन्न प्रकार की जरूरतों के लिए एक अच्छा विकल्प होता है। ये टिकाऊ भी होता है तथा इसके टूटने की संभावना भी बहुत कम होती है।
प्लास्टिक बहुत प्रचलित व अत्यधिक इस्तेमाल किये जाने वाले पदार्थ हैं क्योंकि ये सस्ता होता है सुलभ है तथा आसानी से उपलब्ध है।
प्लास्टिक के दुष्परिणाम
लेकिन जैसा कि हम कहते हैं हर चीज़ की बुरी होती है। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरा साबित हो रहा है। प्लास्टिक के पात्रों में खाना संग्रह करना विशेष कर पुराना खराब इस्तेमाल किया हुआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
अत्यधिक गर्म तथा अत्यधिक ठंडी परिस्थितियों में प्लास्टिक के जहरीले तत्व उसमें संग्रहित किए भोज्य पदार्थों में समाहित हो जाते हैं तथा उन्हें खराब कर देते हैं।
यहां तक कि पानी रखने के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही प्लास्टिक की बोतलों को भी कुछ महीनों में बदल देना चाहिए।
अब जब भी आपको कोई प्लास्टिक थैली या प्लास्टिक बोतल फेंकनी होती है तो आप क्या करते हैं उस कचरे के डब्बे में फेंक देते हैं हैना।
इसे फिर नदी में बहा दिया जाता है अथवा एक भराव गड्ढे में किन्तु प्लास्टिक वातावरण को किसी भी अन्य वस्तु की अपेक्षा ज्यादा दूषित करता है क्योंकि ये आसानी से नष्ट नहीं होता है।
जलाने अथवा गरम करने पर प्लास्टिक में से हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती हैं जो कि मानव के लिए हानिकारक होती है।
लोग अक्सर घरेलू कचरे को प्लास्टिक थैलियों में फेंक देते हैं। जब आवारा गायें, बकरियां, गधे अथवा कुत्ते प्लास्टिक निगल लेते हैं तो वे बीमार हो सकते हैं और मर भी सकते हैं।
हममें से कई प्लास्टिक के थैलियों को तथा कपों को यहां वहां फेंक देते हैं। अगर आप रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन अथवा समुद्र के किनारे पर जाएं तो आपको हर तरफ प्लास्टिक का कचरा फैला हुआ दिखेगा।
सड़कों पर बगीचों में तथा समुद्र के किनारों पर लापरवाही पूर्वक फेंकी गई प्लास्टिक थैली पानी में, नाली में तथा नालियों में बह जाती है।
परिणाम स्वरूप कई जल जीव जैसे कछुए, डॉल्फिन तथा मछलियां प्लास्टिक थैलियों को भोजन समझ निगल लेती हैं तथा मर जाती हैं।
प्लास्टिक का कचरा नालियों को जाम कर देता है जिससे भारी वर्षा के दौरान बाढ़ जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है।
प्लास्टिक के बारे में एक और जाना पहचाना तथ्य ये है कि ये प्राकृतिक रूप से सड़ता नहीं है। वैज्ञानिकों ने गणना की है कि एक सामान्य प्लास्टिक जो कि एक मिलीमीटर मोटा है।
उसे विगलित होने तथा उसके छोटे रासायनिक घटकों में विघटित होने में पांच हजार वर्ष लग जाते हैं। पांच हजार वर्ष इसका अर्थ है हमेशा। इसीलिए प्लास्टिक मिट्टी में वर्षों तक दबा रहने के बावजूद जैसा है वैसा ही रहता है।
उसे कंपोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट गड्ढे में नहीं रखा जा सकता है।
और जैसे जैसे समय बीतता जाता है और अधिक प्लास्टिक, प्लास्टिक थैलियों, कप तथा बोतलों के रूप में हमारे ग्रह पर कूड़े के रूप में इकट्ठा होता रहता है।
पर्यावरण की रक्षा कैसे करे?
आपको क्या लगता है हम हमारी पर्यावरण तथा हमारी ग्रह पृथ्वी को प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से कैसे बचा सकते हैं।
- हम एक खरीदारी में प्लास्टिक थैली की बजाय कपड़े अथवा जूट की थैलियों का उपयोग करना चाहिए।
- ये पदार्थ प्लास्टिक थैलियों की तरह टिकाऊ नहीं होते हैं किन्तु पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होते हैं।
- अगर आप एक कपड़े के थैले को कचरे में फेंक देंगे तो वो आसानी से नष्ट हो जाएगा अथवा आसानी से कचरा भस्म एक यंत्र में जल जाएगा।
- हमें हमेशा प्लास्टिक का अपशिष्ट उचित स्थान पर फेंकना चाहिए जहां पर स्थानीय कचरा संग्रहण इकाईयां उसे इकट्ठा कर पुनर्चक्रण हेतु भेज सके। कई वस्तुएं जैसे प्लास्टिक की बाल्टियां, गमले, फिलर्स के लिए टिकिया, प्लास्टिक की कुर्सियां और पुनर्चक्रण प्लास्टिक से बनाई जा सकती हैं।
- हमें भोज्य पदार्थ प्लास्टिक की थैलियों में संग्रहित नहीं करना चाहिए।
- हमें प्लास्टिक को जलाना नहीं चाहिए।
- हमें प्लास्टिक की थैलियों में कचरा नहीं फेंकना चाहिए।
- सबसे महत्वपूर्ण ये है कि हमें प्लास्टिक को जितना संभव हो उतना पुन चक्रित करना चाहिए।