क्या तुम्हें पता है की हमारे पास पेशियाँ हैं। हमारी अस्थियाँ अपने आप नहीं चल सकतीं।
वे पेशियों से जुड़ी होती हैं जो संकुचित और शिथिल होती हैं और उन्हें बार-बार खींचती हैं जिससे कि वे गति कर सकें।
ये कंकाल पेशियाँ हैं। ये तुम्हारी अस्थियों को सही स्थिति में बांधे रखती हैं। और तुम्हारी संधियों को विस्थापित होने से बचाती है।
मानव शरीर में 650 से भी अधिक पेशियां होती हैं। इन पेशियों से हमें सीधे खड़े होकर चलने और सीधी शारीरिक मुद्रा बनाए रखने में सहायता मिलती है।
केवल यही नहीं जो भी तुम करते हो चलने से लेकर सिर हिलाने और मुस्कुराने या त्योरी चढ़ाने तक सब कुछ कम कंकाल पेशीय के संकुचन के ही कारण होता है।
पेशियाँ कैसे कार्य करती है?
जब हम मुस्कुराते है तो हम वास्तव में अपनी पेशियों का उपयोग कर रहे होती है बिल्कुल सही।
जब हम बोलते या मुस्कुराते है या मुंह बनाते है तो हम अपने चेहरे की पेशियों का उपयोग रहे होते है।
हमारे वक्ष और पीठ की पेशियाँ सांस लेने में सहायता करती हैं। और उनके द्वारा गर्दन की गतियां होती हैं।
हमारे पीठ के निचले भाग की पेशियाँ पीठ को सीधी रखने में सहायता करती है। और भुजा को पैर की पेशियाँ हाथ पैर चलाने में सहायक होती है।
एक बात याद रखना पेशियाँ अस्थियों को केवल खीच सकती है धकेल नहीं सकती।
अतः है किसी अस्थि को चलाने के लिए कुछ पेशियाँ एक दूसरे के विपरीत कार्य करती है।
इस प्रकार जैसे ही एक पेशी संकुचित होती है या आकार में छोटी होती है तो दूसरी शिथिल होती है या आकार में बढ़ जाती है।
जब तुम अपनी भुजा उठाना चाहती हो तो सामने की पेशियां जिन्होंने द्विशिरस्क कहते हैं संकुचित होती है और छोटी हो जाती है
जबकि पीठ की पेशियाँ जिन्हें त्रिशिरस्क कहते हैं शिथिल होती हैं और लंबी हो जाती है।
जब तुम अपनी भुजाएं नीची करना चाहती हो तुम्हारी द्विशिरस्क का शिथिल होती है और लंबी हो जाती है और पीठ की त्रिशिरस्क का संकुचित होती है।
पेशियों के प्रकार
1.कंकाल पेशियाँ
2.अनैच्छिक पेशियाँ
3.हृदय पेशियाँ
1.कंकाल पेशियाँ
कंकाल पेशियों को ऐच्छिकपेशि कहते हैं क्योंकि हम कैसी गति करनी है इससे हम चेतना पूर्वक ऐत्रित कर सकते है।
2.अनैच्छिक पेशियाँ
अनैच्छिक या इसनिगद यानि की चिकनी पेशियाँ ऐसी पेशियाँ होती हैं जिन पर हमारा कोई चेतना पूर्ण नियंत्रण नही होता। जैसे हमारी आँध्र और अमाशय की पेशियां।
3.हृदय पेशियाँ
इस प्रकार की पेशी केवल तुम्हारे हृदय में पाई जाती है। इसे भी अनैच्छिक पेशी ही कह सकते हैं क्योंकि तुम इससे चेतना पूर्वक नियंत्रित नहीं कर सकती। हृदय पेशी हृदय से रुधिर निचोड़ने के लिए संकुचित होती है और हृदय को को रुधिर से भरने के लिए शिथिल होती है।