वर्तमान समय में कृत्रिम तरीकों से कोयले का निर्माण किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाखों वर्ष पूर्व कोयला किस तरीके से बना होगा। आइए देखते हैं
लाखों वर्षों पूर्व हमारी धरती प्रचुर हरे भरे वनो से इसकी सतह ढकी हुई थी। विभिन्न प्रकार के पशुओं तथा सुंदर जल निकाईयों से विस्तृत थी। उन्हीं से कोयले का निर्माण हुआ।
आइए इसे विस्तार से जानते हैं कि कोयले का निर्माण कैसे हुआ?
कोयले का निर्माण या कार्बनिकरण
बाढ़कृत वानो और दलदल क्षेत्रों में उगने वाली कई प्रकार के पौधे थे। जब यह पोधे मृत हो जाते थे तो वे पानी में गिर जाते थे परंतु इनका पूर्ण रूप से श्रय या नाश नहीं हो पाता था। क्योंकि जल के भीतर ऑक्सीजन की कमी होती है यह अपुणक्ष है और मृदा नामक पदार्थ के निर्माण का कारण था।
एक समय के अवधि के अंतर्गत इस मृदा नामक पदार्थ पर वातावरण और भौगोलिक घटनाओं के प्रभाव से बहुत सी परते जमती रही।
अधिक तलछटे अर्थात् नीचे मृदा पर अधिक दबाव जो मृदा को संपीड़ित करते गए।
जैसे तलचटे बढ़ती गई वैसे दबाव और दाब जमीन के नीचे बढ़ता गया। इससे मृदा पर और उसके आसपास तापमान और दबाव बढ़ा इसके परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे यह मृदा अन्य लिग्नाइट नामक पदार्थ यानी मुलायम भूरा कोयला तथा तत्पश्चात दीर्घकाल में सख्त काले कोयले में बदल गया। जिसमें कार्बन तत्व काफी अधिक मात्रा प्रतिशत में था। रूपांतरण की इस प्रक्रिया को ही कार्बनीकरण कहते हैं।
वर्तमान समय में कोयले का निर्माण कैसे होता है?
अब जब पृथ्वी पर कोयला खत्म हो रहा है तो मनुष्य कृत्रिम तरीके से कोयले का निर्माण कर रहे हैं उसके लिए वे ढेरों लकड़ियों को एक साथ कई भट्टीयों जमा कर दिया जाता है फिर उन्हीं बंद कर उनमें आग लगा दी जाती है उसके बाद लगभग 5 से 6 दिनों में कोयला तैयार हो जाता है।
और क्या आप जानते हो कि बिजली उत्पादन में कोयला क्या काम आता है?
बिजली उत्पादन के लिए पानी को भाप बनाने के लिए कोयले को जलाया जाता है जोकि टरबाइन को घुमा कर बिजली का उत्पादन करती है फिर वह हमारे घर तक पहुंचाई जाती है।
इनके बारे में सोचें:-
कोयले को एक जीवाश्म इंधन क्यों कहा जाता है?
हमें कोयले का प्रयोग न्यायोचित क्यों करना चाहिए?
क्या कोयले को जलाने से वायु प्रदूषण होता है? क्यों?