न्यूटन का गति का दूसरा नियम
हमने देखा है कि जब किसी चीज को बल लगाकर ढकेला या खींचा नहीं जाता तब तक ना तो वो हिलती है और ना ही उसकी गति में कोई बदलाव आता है।
आकाश में भेजे गए रॉकेट का उदाहरण देखो तुम देख सकते हो कि रॉकेट की चाल बढ़ती चली जाती है। पहले 8 सेकेंड में यह 161 किलोमीटर प्रतिघंटे के हिसाब से चल रहा है।
जब पहला मिनट समाप्त होता है तो यह सोहला सौ 9 किलोमीटर प्रति घंटे पर होता है और दो मिनटों में इसकी चाल चारहजार आठ सौ अट्ठाईस किलोमीटर प्रतिघंटा पहुंच जाती है।
त्वरण (acceleration)
चाल में हो रहे इस लगातार परिवर्तन का यह मतलब है कि रॉकेट में त्वरण हो रहा है। एक सौ बीस सैकेंड में चार शुन्य मीटर प्रति सेकेंड से एक हजार 341 मीटर प्रति सेकेंड होगी।
इसलिए कुल त्वरण 1341 मीटर प्रति सेकेंड को 120 सैकेंड से भाग देने पर मिलेगा, जो कि होगा 11 मीटर प्रति सैकेंड हर सेकेंड में।
इसका मतलब हुआ कि रॉकेट की चाल हर सेकंड औसतन 11 मीटर प्रति सेकेंड से बढ़ती जा रही है और यही इसका त्वरण है।
हर चाल में हो रहे इस लगातार बदलाव का कारण क्या है। रॉकेट के ईंधन के लगातार जलने से एक बल पैदा होता है।
और इसी बल की वजह से उल्टी दिशा में यानी आसमान की तरफ काम करने वाला एक ओर समान बल पैदा होता है जिसकी वजह से रॉकेट का त्वरण होता है।
न्यूटन का दूसरा नियम कहता है कि बल बराबर द्रव्यमान गुना त्वरण।
अब गणित को देखकर डरने मत लग जाना असलियत में बहुत ही आसान सी बात है। देखो अगर द्रव्यमान समान रहता है और बल बढ़ता जाता है तो त्वरण भी जरूर बढ़ना चाहिए।
इसका मतलब है कि चाल और तेजी से बढ़ेगी। पर जब द्रव्यमान छोटा होता है लेकिन बल समान रहता है तब तब भी त्वरण ज्यादा बड़ा होगा और चाल ज्यादा तेजी से बढ़ेगी।
और क्या होगा जब बल समान है लेकिन द्रव्यमान बड़ा है। अब त्वरण कम होगा, चाल धीरे धीरे बढ़ेगी।
बस एक बार बल द्रव्यमान और त्वरण का रिश्ता समझा गया तो फिर तो इसकी गणित बच्चों का खेल है। तो याद रखना कि बल की वजह से त्वरण होता है और ये त्वरण बल की दिशा में होता है यानि बल ज्यादा तो त्वरण ज्यादा।