चुंबक और चुंबकीय क्षेत्र
हम सभी जानते हैं कि चुम्बक दो ध्रुवों से मिलकर बनते हैं। उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव।
चुंबक का आकर्षण और प्रतिकर्षण
आप चुम्बकीय ध्रुवों के बीच आकर्षण और प्रति आकर्षण से परिचित हैं।
चुम्बकीय सजातीय ध्रुव एक दूसरे के प्रतिकर्षत करते हैं।
चुंबक के विपरीत या विजातीय ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
हमें पता है कि दिक्सूचक सुई एक छोटी छड़ चुंबक की बनी होती है। विजातीय ध्रुवों के मध्य आकर्षण तथा सजातीय ध्रुवों के मध्य प्रतिकर्षण के कारण ये चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षिप्त हो जाती है।
चुंबकीय क्षेत्र
अब आइए चुम्बकीय क्षेत्र का पता लगाने के लिए एक छोटा सा प्रयोग करें।
एक छड़ चुम्बक पर सफेद कागज की एक शीट रखी कागज पर कुछ लोह चूर्ण फैलाएं। इसके बाद कागज को धीरे-धीरे थपथपाएं। आप क्या देखते हैं लोह चूर्ण स्वयं को पैटर्न में व्यवस्थित कर लेता है। यही पैटर्न प्रदर्शित करता है कि चुंबक अपनी चारों ओर प्रभाव उत्पन्न करता है। जो चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
लौह चूर्ण इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो जाते हैं और स्वयं को क्षेत्र रेखाओं के अनुसार व्यवस्थित कर लेता है। जिन्हें चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं कहते हैं।
विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव
एक चालक से गुजरने वाली विद्युत धारा भी चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करती है।
एक सरल प्रयोग की सहायता से हम विद्युत धारा के इस चुम्बकीय प्रभाव को देख सकते हैं।
जब धारा को स्विच से चालू किया जाता है तो कील चुम्बकीत हो जाती है। किसी लोहे की बनी हुई स्टेपलर बीनू को आकर्षित करती है। जब बैटरी के स्विच को बंद करते हैं तो इसकी चुम्बकीय गुण समाप्त हो जाते है और स्टेपलर पीने नीचे गिर जाती है।
हमारे चारों ओर विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव है, बल्कि आप किसी विद्युत मोटर के पास प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय प्रभावों को महसूस भी कर सकते हैं।
जिस प्रकार एक प्रवाहित धारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है ठीक उसी प्रकार एक गतिमान चुम्बक भी विद्युत धारा पैदा कर सकता है। विद्युत जनित्र इसी सिद्धांत पर कार्य करता है।