ओजोन की परत
ओजोन पृथ्वी की प्राकृतिक धूप रोधक है।
पृथ्वी के चारों ओर ओजोन की परत जितनी ही मोटी होगी पृथ्वी तक पहुँचने वाले पराबैंगनी विकिरण की मात्रा उतनी ही कम होगी तथा इसके विलोम तह।
यद्यपि सूर्य एक समान दिखता है लेकिन यह वास्तव में विभिन्न प्रकार की किरणों से बना होता है।
सूर्य की द्रश्य किरणे विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का केवल एक भाग है।
रेडियो, अवरक्त, गामा, एक्स-किरणें और हानिकारक पराबैंगनी किरणें अद्रश्य विकिरण होते हैं।
सूर्य की पराबैंगनी किरणें खतरनाक होती हैं और त्वचा का जलना, मोतियाबिंद आदि का कारण बन सकती है।
लेकिन इन किरणों के आप पतन के परिणामस्वरूप ये समस्याएं जितने विकराल रूप में दिखनी चाहिए उसकी तुलना में ये बहुत कम होती है।
ओजोन का बनना
आप पहले से ही जानते हैं कि पृथ्वी वायु के एक कंबल से घिरी हुई है जो वायु मंडल कहलाता है।
वायु मंडल विभिन्न प्रकार की परतों से मिलकर बना है।
ओजोन की परत इनमें से एक है। ये वो परत है जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाए रखती है।
ओजोन की परत कैसे बनती है।
आक्सीजन का एक अणु ऑक्सीजन के दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
ऑक्सीजन के अणुओं पर पड़ने वाली पराबैंगनी किरणें अणु को ऑक्सिजन के दो परमाणुओं में बांट देती है।
मुक्त ऑक्सीजन का परमाणु अपनी उच्च अभी क्रियाशील प्रकृति के कारण तत्काल आक्सीजन के अन्य अणुओं से संयोजित हो जाता है और ओजोन का अणु निर्मित करता है।
इन ओजोन के अणुओं पर आपत्ति होने वाली पराबैंगनी किरणें इसे आक्सीजन के परमाणु और आक्सीजन के अणुओं में विखंडित कर देती हैं।
मुक्त ऑक्सीजन का अणु तत्काल पुनः आक्सीजन के अणुओं से जुड़ कर ओजोन बनाता है।
ये प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है और सभी पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लिया जाता है तथा उन्हें पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोक दिया जाता है।
ओजोन परत का अपक्षय
चूंकि ओजोन उच्च अभी क्रियाशील अणु होता है इसीलिए ये हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन तथा ब्रोमीन के यौगिकों से तत्काल अभिक्रिया करता है।
रेफ्रिजरेटर, घरेलू इंसुलेशन, रसायन आधारित कीटनाशकों, प्लास्टिक फ्लूड और फेंक दिए जाने वाले खाद्यों के डिब्बों से क्लोरो फ्लोरो कार्बन या सीएफसी के अणु वायुमंडल में निर्मित होते हैं।
ये भी सूर्य के प्रकाश का अवशोषण करते हुए विभक्त होकर क्लोरीन के परमाणुओं को मुक्त कर देते हैं। मुक्त क्लोरीन परमाणु ओजोन के अणुओं से टकराते हैं उनसे आक्सीजन के परमाणु ले लेते हैं और क्लोरीन मोनोक्साइड बनाते हैं।
जब मुक्त ऑक्सीजन परमाणु क्लोरीन मोनोक्साइड से टकराता है तो ये आक्सीजन परमाणु से आबन्द बनाता है।
और आक्सीजन का एक अणु निर्मित करता है मुक्त क्लोरीन अणु पीछे शेष बचता है।
तब ये क्लोरीन का परमाणु पुनः मुक्त हो जाता है और ओजोन के अन्य अणुओं को नष्ट करते हुए उन्हें आक्सीजन अणुओं में विखंडित करता है।
ओजोन के हानिकारक प्रभाव
- बीते वर्षों में ऊपरी वायुमंडल में ओजोन की परत की मोटाई कम हो गई है।
- वैज्ञानिकों ने ये भी खोज की है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन की परत में एक बड़ा छेद हो गया है।
- ओजोन परत का अपक्षय वैश्विक तापन अर्थात ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तनों का कारण बन सकता है।
- पृथ्वी तक पहुंचने वाली पराबैंगनी किरणों में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी जो हानिकारक है।
- उत्पादक और अपमानजनक भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे जिससे आहार श्रृंखला, आहार जल एवं अंततः पारितंत्र में एक असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा।
- इसीलिए ओजोन की परत को नष्ट होने से रोकना हमारे लिए बहुत जरूरी हो गया है।
- क्लोरो फ्लोरोकार्बन युक्त उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जाना इसकी सबसे प्रभावी विधि है जिसे लागू किया जाना चाहिए।