हमें ठंडी लगने पर कंपकपी और गर्मी लगने पर पसीना क्यों आता है। यह प्रतिक्रियाएं वस्तुतः आपके शरीर की तापमान परिवर्तन के प्रति स्वत: प्रतिक्रिया होती है।
कंपकपी आपके शरीर के तापमान को बहुत अधिक गिरने से बचाती है और पसीना आपके शरीर को बहुत अधिक गर्म होने से बचाता है।
प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)
जब हमारा शरीर वातावरण में किसी बदलाव की पहचान करता है और बदलाव के प्रति स्वत: और बिना सोचे क्रिया करता है, वह प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है।
आंतरिक और बाहरी बदलाव के प्रति हमारे शरीर की अनुक्रिया तंत्रिका आवेगो द्वारा संचालित होती है, जो न्यूरोनो के एक नेटवर्क के द्वारा यात्रा करता है।
सामान्यत: जब शरीर के भीतर की कोशिकाएं एक बाहिय उद्दीपन प्राप्त करती है, वे मस्तिष्क को मेरुदंड द्वारा एक तंत्रिका आवेग भेजती है। मस्तिष्क संदेश प्राप्त करता है और फिर इस उद्दीपन के प्रति आवश्यक अनुक्रियाएं आरंभ करने के लिए वापस दूसरा संदेश भेजता है।
जबकि एक प्रतिवर्ती क्रिया में तंत्रिका आवेग उद्दीपन स्थल से न्यूरोन द्वारा मेरुदंड में जाता है और वहां से सीधे शरीर के उस हिस्से में जाता है, जहां अनुक्रिया कि जरुरत है।
प्रतिवर्ती क्रिया संकेतो को बिना मस्तिष्क भेजें बिना किसी देरी के बहुत तेजी से होती है, हालांकि प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान मस्तिष्क भी संवेद इनपुट प्राप्त करता है।
एक प्रतिवर्ती क्रिया में अभी ग्राही नामक विशेष कोशिकाएं उद्दीपन को प्राप्त करती है।
एक संवेदी न्यूराॅन अभिग्राही से मेरुदंड और मस्तिष्क तक ले जाता है।
प्रेरक न्यूराॅन संदेश को मेरुदंड से कार्य कर या आपके शरीर की उस हिस्से तक ले जाता है जो सही अनुपक्रिया से संबंधित है। यह एक पैशी या ग्रंथि हो सकती है।
प्रतिवर्ती चाप
तंत्रिका आवेग द्वारा अभिग्राही कोशिका से कार्यकर तक पहुंचाने में अपनाया गया रास्ता प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
क्या आप जानते हैं कि जब आपको अपने घुटनों के जोड़ो पर समस्या होती है तो एक चिकित्सा के आप की प्रतिवर्ती क्रिया को कैसे जांचता है?
वह घुटने के ठीक नीचे एक बिंदु फर एक हथोडि से आपके घुटने को हल्के से मारता है। आप अपनी प्रतिक्रिया से अनुक्रिया देते हैं, जोकि एक प्रतिवर्ती क्रिया का उद्धारण है।
इस प्रतिवर्ती क्रिया में उद्दीपन घुटने के ठीक नीचे स्थित स्नायु को हथौड़ी से मारने से उत्पन्न होता है, इसके कारण जाघं कि सामने की मांसपेशी में संकुचन और पीछे की मांसपेशी में विस्तार होता है और पैर में ऊपर की ओर झटका पड़ता है।
मानवों में विकसित कुछ और प्रतिवर्ती क्रिया के बारे में सोचे:-
उद्दीपन |
अनुक्रिया |
आपके पसंदीदा भोजन की खुशबू |
मुंह में पानी आना |
एक खराब गंध |
जी मिचलाना |
आखो पर तेज प्रकाश गिरना |
नेत्र की पुतली सिकुडना |
आंखों की ओर उड़ते हुए कीटक |
आंखों का झपकना |