मानव शरीर के तंत्र । Human Body Systems
हमारा शारीर काफी अंगो से मिलकर बना होता है और वो अंग तंत्र बनाते है उन सभी तंत्रों का अपना अलग- अलग कार्य होते है, हमारे शरीर में लगभग 11 तंत्र होते है –
- Skeleton System (कंकाल तंत्र)
- Circulatory System (परिसंचरण तंत्र)
- Nervous system (तांत्रिका तंत्र)
- Muscular system (मांसपेशियां तंत्र)
- Respiratory system ( स्वसन तंत्र)
- Digestive system (पाचन तंत्र)
- Urinary system (मूत्र प्रणाली)
- Lymphatic system (लसीका तंत्र)
- Endocrine system (अंतः स्रावी प्रणाली)
- Reproductive system (प्रजनन तंत्र)
- Integumentary system (अध्यावरणी तंत्र)
Skeleton System (कंकाल तंत्र)
- हमारे शरीर का आकार इसी पर निर्भर करता है।
- कंकाल भीतर अंगों की रक्षा करता है।
- यह शरीर को आकार देता है।
- कंकाल के कारण खड़े रहने वह चलने में सहायता मिलती है।
- शरीर के लिए जरुरी खनिज भी कंकाल तंत्र की हड्डियों के अंदर जमा होते हैं।
- हड्डियों में रक्त कणों का निर्माण होता है।
Circulatory System (परिसंचरण तंत्र)
परिसंचरण तंत्र मतलब रक्त का पूरे शरीर में भ्रमण यानी circulation of blood in complete human body. इसमें हमारा दिल और रक्त नलिकाएं जुड़ी होती है जो कि पूरे शरीर में रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। यह कार्य हमेशा चलता रहता है।
Nervous system (तांत्रिका तंत्र)
इस तंत्र में हमारा दिमाग मेरुरज्जु और इससे निकलने वाली तांत्रिकाएं होती है यह शरीर के हर हिस्से तक पहुंचती है, जिसके द्वारा सारी जानकारियां हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है, जैसे हमारे कान, नाक, आंखे और अन्य इंद्रियों से जानकारी मिलती है। नर्वस सिस्टम आपकी सोच, बात और हर काम करने में आपकी मदद करता है।
Muscular system (मांसपेशियां तंत्र)
इस तंत्र में शरीर की लगभग 600 से भी अधिक मांसपेशियां आती है जो कि शरीर के प्रत्येक हिस्से को चलाने के लिए संकुचित होती है, जिसके लिए इन्हें रक्त की जरूरत पड़ती है। शरीर की बनावट में मांसपेशियों की काफी योगदान रहता है।
यह काफी कार्य करती है जैसे हमारे दिल को धड़काना हो, रक्त वाहिनी में रक्त को आगे पहुंचाना हो, आंखों की पलक को जबकि ना हो या फिर हमें चलने करने में हमारे अंगों को चलना हो यह सारे कार्य एवं बखूबी करती है।
Respiratory system ( स्वसन तंत्र)
स्वसन तंत्र हमारे शरीर में हवा को छानकर इससे ऑक्सीजन प्रवेश कराता है और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है। इसमें फेफड़े का एक जोड़ा होता है जो कि यह पूरा कार्य करता है इसमें छोटी-छोटी अल्वेओली होती है जो की हवा को छानती है।
Digestive system (पाचन तंत्र)
हमारे पाचन तंत्र का काम हमारे द्वारा खाए गए भोजन को पेट में पचाकर उसमें से खनिज पदार्थों को अवशोषित कर उसमें से अपठित भोजन को मलद्वार द्वारा त्याग करने का होता है यह हमारे मुंह से शुरू होता है और ग्रास नली, पेट, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाश्य और मलद्वार पर खत्म हो जाता है।
Urinary system (मूत्र प्रणाली)
यूरिनरी सिस्टम हमारे रक्त से गंदगी को मूत्र के रूप में बाहर निकलता है। वृकक (Kidney), मूत्र वाहिनी (ureter), मूत्राशय (bladder) and मूत्र नलिका (urethra) मूत्र प्रणाली के भाग है
Lymphatic system (लसीका तंत्र)
जैसे रक्त परिसंचरण तंत्र में काफी सारी रक्त वाहिनीयाएं होती है उसी तरीके से लसिका तंत्र में लसीकाएं नामक lymphatic vessels पूरे शरीर में फैली रहती है, जिसमें लिंफ नाम का पदार्थ बहता रहता है इसमें अधिकतर लिंफोसाइट्स मौजूद होती है जो की रोग पैदा करने वाले कीटाणु को मारती है साथ ही साथ है इसमें मृत कोशिकाएं, कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं, वायरस, प्रोटीन और कुछ पोषक तत्व मौजूद होते है। यह cell के बीच में मौजूद tissue से होकर बहता है। यह हमारे प्रतिरक्षा तंत्र और परिसंचरण तंत्र का भी भाग है।
Endocrine system (अंतः स्रावी प्रणाली)
इस तंत्र में ग्रंथियां का समूह होता है, जो हमारे शरीर में हार्मोन बनता है और छोड़ता है। ग्लैंड हॉरमोन सेक्रेटेड करती है जो कि शरीर के दूसरे सेल से और टिशु को काम करने के लिए स्टिम्युलेट करते हैं। यह हमारे मूड में बदलाव, गर्भधारण से लेकर व्यवस्था और बुढ़ापे तक शरीर में सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है जिससे हमारे दिमाग और नर्वस सिस्टम साथ ही रिप्रोडक्टिव सिस्टम की वृद्धि और कार्य शामिल है।
इसमें कई तरीके की ग्रंथियां होती है।
Reproductive system (प्रजनन तंत्र)
यह तंत्र संतान उत्पत्ति के लिए होता है जिससे मानव का विकास होता है। यह शरीर में उत्पन्न हार्मोन के द्वारा नियंत्रित होता है। प्रजनन तंत्र में मादा और न में अलग-अलग प्रजनन अंग होते हैं जो की अलग प्रकार से कार्य करते हैं।
Integumentary system (अध्यावरणी तंत्र)
यह हमारे शारीर का सबसे बहरी तंत्र है जिसमे सरीर की सबसे बहरी परत हमारी त्वचा (skin) होती है। जो बाहर से पुरे शारीर को सुरक्षा देती है।