क्या इयरफोंस बहरा बना सकते हैं?
क्या आप जानते हो कि आप जिन इयरफोंस का use मजेदार गाने सुनने और ऑनलाइन वीडियो देखते टाइम use करते हो वह ही इयरफोंस आपको एक दिन बहरा बना सकते हैं।
लेकिन यह सब होगा कैसे आई समझते हैं एक साधारण से 3D Animation की हेल्प से
सबसे पहले हम समझेंगे कि earphone की आवाज को हमारे कान कैसे सुनते हैं।
कान कैसे सुनते हैं
जो हमारे कान का सबसे भारी भाग है उसे pinna कहते हैं और उसके आगे से शुरू होती है ear canal जिसमें हम अपने earphones को लगाते हैं, यहां तक होता है हमारा External Ear, Ear canal से ईयरफोन की साउंड वेव्स ट्रैवल करते हुए middle ear में मौजूद Tymphanic Membrane या Ear Drum जिसे हम कान का पर्दा भी कहते हैं यहां तक साउंड वेव्स आती है।
कई बार आपने सुना होगा कि लोग कहते हैं कि कान पर मत मारो या कान में कुछ मत डालो कान का पर्दा फट जाएगा यह वही पर्दा होता है जहां पर साउंड वेव्स जाकर टकराती है।
जब यह sound waves पर्दे पर टकराती है तो यह vibrate करने लगता है, जिसकी वजह से इससे जुड़ी तीन हड्डियां भी वाइब्रेट करती है, जिन्हें Malleus, Incus और Stapes कहते हैं।
यह तीनों हड्डियां मिडल इयर की वाइब्रेशन को आगे इनर इयर तक पहुंचती है, जहां पर Vestuibuli और तीन Semi-Circular Canals होती है जो कि हमारे शरीर के बैलेंस को बनाए रखने के लिए मददगार होती है और एक होता है कोकलिया (Cochlea) जो की Sphiral shape का होता है।
जब यह तीन हड्डियां साउंड वेव्स की वाइब्रेशन को आगे इनर एरिया में भेजती है तो वह हमारे कोकलिया में आती है कोकलिया में खास तरीके का फ्लड भरा होता है जिससे एंडॉलिंफ कहते हैं।
जब साउंड वाइब्रेशन यहां ट्रैवल करती है तो यह इस बैलेंस करता है और इसी वजह से हुमन इयर अलग-अलग फ्रीक्वेंसी को सुन सकता है।
साउंड वाइब्रेशन बैलेंस होने के बाद यह इसमें मौजूद Hair Cells तक पहुंचती है जब वाइब्रेशन आती है तो यह हेयर सेल्स इसे महसूस (Sense) कर इलेक्ट्रिकल्स इंपल्स में कन्वर्ट करते हैं और Vestibulochochlear Nerve के द्वारा हमारे दिमाग में भेज देते हैं, जिससे हम उस आवाज को पहचान जाते हैं।
बहरे कैसे होते हैं?
अब यहां पर समझने वाली बात यह हैं कि जब साउंड वेव्स काफी लाउड और काफी लंबे समय तक होगी तो यह Hair Cells Damage हो जाती है, जो की एक इरिवर्सिबल है मतलब एक बार डैमेज होने के बाद दोबारा रिपेयर नहीं हो सकती।
तो जब यह हेयर सेल्स डैमेज हो जाएंगे तो आगे सिग्नल्स नहीं भेज पाएंगे जिससे हमें सुनने में प्रॉब्लम आने लगेगी और आगे चलकर यही प्रॉब्लम हियरिंग लॉस की बड़ी प्रॉब्लम बन जाएगी।
और अब तक लगभग 1.1 बिलियन लोगों की बाहरी होने के मामले सामने आए हैं और हर साल इसके आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं 2050 तक लगभग 700 मिलियन का आंकड़ा पार करजाएगा। इसका मतलब जब हम 45 के आसपास के हो जाएंगे तब तक हमारे सुनने की क्षमता काफी कम हो जाएगी।
अब करना क्या है क्योंकि इयरफोंस तो बहुत ज्यादा जरूरी हो गए हैं वीडियो एडिटर के लिए इन स्टूडेंट्स के लिए जो वीडियो लेसन लेते हैं या वह जो म्यूजिक प्रोडक्शन करते हैं।
देखो एयरफोन से हियरिंग लॉस की प्रॉब्लम से बचने के लिए हमें इयरफोंस और ईयर की डिस्टेंस को समझना होगा इयरफोंस हमारे कान की जितना अंदर होगा और जितनी ज्यादा लाउड उसकी वोइस होगी उतने ही जल्दी हेयर सेल्स डैमेज होंगे।
एयरफोन सबसे खराब चीज है हमारे कानों के लिए ऐसे समझो कि मानो बड़े-बड़े दो स्पीकर्स हमारे कानों के पास रख दिए हो तो लाउड नॉइस से हेयर सेल्स बंद होते हैं और फिर डैमेज हो जाते हैं।
लेकिन आजकल कुछ नॉइस कैंसिलेशन वाले इयरफोंस आने लगे हैं जो हमें बाहर और अंदर दोनों की आवाजों को न्यूट्रलाइज करके सुनते हैं इससे भी अच्छा ऑप्शंस हेडफोन है, क्योंकि इनमें जो यह फॉर्म होता है उसकी वजह से कान और सोर्स ऑफ साउंड डिस्टेंस बढ़ जाता है और अगर स्पीकर को रूम में लगाकर पड़े तो यह उससे भी अच्छा है क्योंकि उसका डिस्टेंस और भी ज्यादा है लेकिन उसकी वॉल्यूम नॉर्मल होनी चाहिए।
साथ हे ईयरफोन को कई घंटे तक कानों में लगाकर नहीं रखता है बीच में थोड़ा रेस्ट देना है।
कहीं स्टडीज में यह भी पाया है कि लंबे टाइम तक की रिपोर्ट लगाने से ईयर में जो वैक्स की क्वांटिटी होती है वह काम हो जाती है जिससे बैक्टीरिया ट्रैप नहीं हो पाए और भी आसानी से एयरफोन से इन्फेक्शन कर सकते हैं।
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि हमें कैसे इयरफोंस का उसे करना है बिना हमारे कानों को डैमेज करते हुए।