क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी नाक, आपके कान और त्वचा का रंग ऐसा क्यों है। क्या आप जानती हैं कि आपमें इनमें से कौन से लक्षण आपके पिता से आए हैं और कौन से आपकी माता से
मेंडल का नियम
1866 में ग्रेगर जॉन मेंडल नामक एक ऑस्ट्रियन पादरी भूरी ने इस बारे में अपने निष्कर्षों को प्रकाशित किया कि किस प्रकार संतति में लक्षण अपने माता-पिता से आते हैं। उनका ये निष्कर्ष मटर के पौधों में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में वंशागति विन्यास पर आधारित थे।
मटर के पौधों में नर और मादा दोनों जनन अंग होते हैं और वह दूसरे पौधों के साथ स्व परागण या पर परागण कर सकते हैं। |
मेंडल ने मटर के पौधों में सात अलग-अलग लक्षणों की जांच की। उन्होंने पाया कि प्रत्येक लक्षण की दो अलग- अलग रूप होते हैं और जब एक व्यक्त होता है तो दूसरा छिपा रहता है।
जब उन्होंने केवल पीले बीज पैदा करने वाले पौधों का पर परागण केवल हरे बीज पैदा करने वाले पौधों के साथ कराया, तो मंडल ने पाया कि प्रथम पीढ़ी की संतति की सदैव पीले बीज होते है। प्रथम पीढ़ी में हरे बीज के लक्षण छिप गए।
अगले चक्र में इन प्रथम पीढ़ी के पौधों में स्वयं परागण करवाया गया। द्वितीय पीढ़ी की संतति में पीले बीज वाली प्रतीक तीन पौधों की तुलना में हरे बीज वाला केवल एक पौधा था। वंशादति का यह पैटर्न मेंडल द्वारा खोजे गए सभी सातों लक्षणों में देखा गया।
मंडल ने यह भी पाया कि अगर किसी एक पीढ़ी में कोई लक्षण प्रकट नहीं भी होता है फिर भी या अगली पीढ़ी में आ सकता है। मेंडल ने अनुभव किया कि माता-पिता से संतति में लक्षणों के स्थानान्तरण के लिए कुछ कारक उत्तरदायी है और कोई संतति प्रतेक जनक से प्रतीक लक्षण का केवल एक रूप ही प्राप्त कर सकती है।
आज वैज्ञानिक जानते है कि लक्षण एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में जीनों (Genes) के द्वारा स्थानांतरित होती हैं, जिन्हें गुणसूत्रों द्वारा ले जाया जाता है। हम यह भी जानते हैं कि युग में विकल्पी एक ही जीन के दो अलग-अलग रूप होते हैं और प्रतेक जीव में प्रतेक लक्षण के लिए दो युग्म विकल्पी होते हैं।
मेंडल के निष्कर्षों के आधार पर किसी विशिष्ट लक्षण के लिए संतति में प्रतीक जनक से केवल एक युग्म विकल्पी ही स्थानान्तरित होता है। प्रतेक जनक से कौन सा युग्म विकल्प भी वंशानुगत होगा यह सिर्फ संयोग की बात है।
जब किसी एक लक्षण के दो युग्मित विकल्पी एक जैसी ही होते हैं, वे उस लक्षण के लिए सम युग्मजी होते हैं। जब किसी एक लक्षण के लिए दोनों युग्म विकल्पी अलग-अलग और भिन्न होते है, तो वे उस लक्षण के लिए विषम युग्मजी होते है। संतति में प्रभावी लक्षण ही प्रकट होता है चाहे संतति सम युग्मजी प्रभावी हो या फिर विषम युग्मजी
प्रभावी युग्म विकल्पों की उपस्थिति में अप्रभावी युग्म विकल्प ही प्रकट नहीं होता है और प्रभावी युग्म विकल्पी केवल तभी प्रकट होता है जब युग्म विकल्पी सम युग्मजी अप्रभावी हों।
प्यूनेट वर्ग
प्रतेक जनक के आनुवांशिक योगदान के आधार पर किसी संतति में सभी संभावित लक्षणों का पता लगाने का सरल आलेखीय तरीका है।
आइए कल्पना करें सुदूर अंतरिक्ष में एलियंस में लाल आखें भूरी आंखों पर पूरी तरह से प्रभावी है, ये लक्षण किसी लाल आँखों और भूरी आँखों वाले एलियंस की संतति में किस प्रकार स्थानान्तरित होंगे। यदि एक जनक सम युग्मजी प्रभावी है और दूसरा सम युग्मजी अप्रभावी है, तो संतति की पहली पीढ़ी प्रतेक जनक से एक युग्म विकल्पी प्राप्त करेगी।
प्रभावी युग्म विकल्पी की उपस्थिति में अप्रभावी युग्म विकल्पी छिपा रहेगा। अतः संतति में लाल आँखें होंगी। अब अगली पीढ़ी में यदि एक विषम युग्मजी प्रभावी एलियन एक दूसरे विषम युग्मजी प्रभावी एलियंस से जनन करता है। तो दूसरी पीढ़ी में तीन संततियों में लाल आँखें होंगी। जबकि एक में भूरि आंखें होंगी। इनमें से एक सम युग्मजी प्रभावी होगा दो विषम युग्मजी और एक सम युग्मजी अप्रभावी होगा।