अलैंगिक जनन जनन क्या है? और अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां के साथ उनके उदहारण

सभी जीवित जीव जन्म की प्रक्रिया द्वारा संतान उत्पन्न करते हैं।

जनन दो प्रकार का हो सकता है जो –

  • लैंगिक जनन

  • अलैंगिक जनन


  • लैंगिक जनन

लैंगिक जनन में नर एवं मादा जनन कोशिकाओं के युग्म द्वारा जनन शामिल है। लैंगिक जनन के लिए दो जनको की आवश्यकता होती है।

 

  • अलैंगिक जनन

दूसरी तरफ अलैंगिक जनन में नर एवं मादा जनन कोशिकाओं के बिना युग्म के ही जनन होता है। अलैंगिक जनन में केवल एकल जनक की आवश्यकता होती है।

 

अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां हैं

  • विखंडन 

  • खंडन 

  • पुनरुदभवन 

  • मुकुलन

  • कायिक प्रवर्धन 

  • बीजाणु समासंघ


  • विखंडन 

द्विखंडन

एक कोशिकीय जीवों के अलैंगिक जनन की एक विधि है। इसमें जनन कोशिका का दो या अधिक संतत कोशिकाओं में कोशिका विभाजन होता है। द्वि खंडन एक जनक कोशिका का दो संतत कोशिकाओं में विभाजन। अमीबा और पैरा मीडियम जैसे जीवों में देखा जाता है।

बहूखंडन

एक जनक कोशिका का एक साथ अनेक संततिक कोशिकाओं में विभाजन

मलेरिया परिजीवी प्लाज्मोडियम में देखा जा सकता है।

 

  • खंडन 

स्पाइरोगायरा जैसे अपेक्षाकृत सरल संरचना वाले बहुकोक्षीय जीवों में देखा जाता है।

खंडन में जनक जीव अनेक टुकड़ों में खंडित हो जाता है, उसके बाद प्रति टुकड़ा एक नए जीव में वृद्धि करता है।

 

  • पुनरुदभवन

हाइड्रा और प्ले एरिया जैसे जंगलों में देखा जा सकता है। किसी जीव की कटे या टूटे हुए शरीर के भाग से एक नए जीव का निर्माण करने की क्षमता पुनरुदभवन कहलाती है।

इन जीवों के शरीर की विशिष्ट कोशिकाएं पुन अवरुद्ध भवन के लिए जिम्मेदार होती हैं।

 

  • मुकुलन

हाइड्रा जैसे जीवों में देखा जाता है। मुकुलन में जनक जीव के शरीर पर कालिका के रूप में एक छोटा उभार विकसित होता है। उसके बाद कलिका विकसित होकर जनक के लक्षणों को अर्जित करती है। पूरी तरह से परिपक्व होने के बाद यह जनक से अलग हो जाती है।

 

  • कायिक प्रवर्धन

अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें अनुकूल परिस्थितियों में एक नया पौधा, पौधे की पत्ती, तना या जड़ से विकसित होता है, कायिक प्रवर्धन कहलाती है।

कायिक प्रवर्धन प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकता है।

 

कायिक प्रवर्धन

रोपण, कर्तन, स्तरण और ऊतक संवर्धन आदि कायिक प्रवर्धन के कुछ उदाहरण हैं।

प्राकृतिक कृत्रिम
रोपण
कर्तन
स्तरण

ऊतक

 

 

  • बीजाणु समासंघ

अनेक पौधे, जीवाणु, शैवाल और कवक और अलैंगिक जनन के लिए बीजाणु कहलाने वाली संरचनाओं का उपयोग करते हैं।

कवक, राइजोपस में बीजाणु बीजाणुधानी कहलाने वाले गोलकोष में बनते हैं। परिपक्वन पर बीजाणुधानी फट जाती है और बीजाणु मुक्त हो जाते हैं। यह बीजाणु अनुकूल वातावरण होने पर वृद्धि करते हैं।

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