जब तुम अपनी आँखें खोलते हो तो तुम एक रंगीन दुनिया देखते हो फूल, पक्षी, घर, किताबें, टेबल कुर्सी क्या तुम इन चीजों को गुप अंधेरे में देख सकते हो। तुम कहोगे कि बिना प्रकाश चीजों को देखना असंभव है।
इसलिए अंधेरे में अक्सर हम चीजों से टकरा जाते हैं। हां यह सच है क्योंकि हम चीजों को तभी देख सकते हैं, जब उसपर प्रकाश पड़ता है। चीजों को देखने के लिए हमारा दिमाग और आंखें दोनों साथ-साथ काम करती है। चलो देखते हैं
हम वस्तुओं को कैसे देख पाते हैं?
किसी वस्तु पर पड़ने वाली प्रकाश की किरणें परावर्तित होकर हमारी आंखों तक जाती है। आंख में वे पारदर्शी स्वच्छ मंडल यानि कि कॉर्निया (Cornea) और उसके पीछे लेंस (Lens) से होकर प्रकाश गुजरता है। और वस्तु की छवि हमारे दृष्टिपटल यानि कि रेटिना (Retina) पर बन जाती है।
दृष्टिपटल दृक तंत्रिका यानी कि ऑप्टिक नर्व (Optic Nerve) सीधा हमारे दिमाग से जुड़ा होता है। यह ऑप्टिक नर्व छवि के बारे में संदेश हमारे दिमाग तक ले जाती है। यह संदेश हमारे दिमाग के पास पहुंचते हैं, तो हमारा दिमाग इनका अर्थ समझता है। फिर हम समझ जाते हैं कि हमारे सामने वाली वस्तु क्या है।
यह सब कुछ एक सेकंड से भी कम के समय में हो जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता। है ना अद्भुत।
आंखों का रंग
तुमने लोगों की आखों के अलग-अलग रंग देखे होंगे जैसे भूरा, काला, हरा इत्यादि। जब हम आखों के रंग की बात कर रहे होते हैं तो वास्तव में हम परितारिका यानि कि आइरिस (Iris) का रंग बता रहे होते हैं।
आइरिश इसके बीच में एक छेद होता है, जिसे हम पुतली या फिर प्युपिल (Pupil) कहते हैं।
क्या होता है जब तुम्हारी आंखों में तेज रोशनी पड़ती है?
तुम अपनी आंखें बंद कर लेते हो या फिर उसे सिकोड़ लेते हो। तुम्हारा प्युपिल (Pupil) सिकुड़ जाता है ताकि ज्यादा रोशनी से तुम्हारी आंखों को कोई भी नुकसान न हो। प्यूपिल को सिकोड़ने का काम आयरिस करता है।
जब तुम कम रोशनी वाली जगह पर होते हो तो तुम्हारा प्यूपिल बड़ा हो जाता है, जिससे कि ज्यादा रोशनी तुम्हारी आखों के अंदर जा सके।
रेटिना पर साफ छवि बनाने के लिए लैंस अपना आकार बदलता है, जिसे कि पावर ऑफ अकोमोडेशन (Power of Accommodation) कहते हैं।
चीजों को साफ देखने के लिए लेंस से जुड़ी सिलियरी मसल्स (Ciliary Muscle) सिकुड़ती और फैलती हैं, जिससे कि लैंस की गोलाई बदलती है। जब लेंस की फोकस दूरी बदलती है और रेटिना पर साफ छवि बन जाती है।
अपवर्तन त्रुटि (Error of Refraction)
आंख में कभी-कभी किसी खराबी के कारण छवि रेटिना के आगे या फिर पीछे बन जाती है, इस स्थिति को अपवर्तन त्रुटि कहते हैं यानी Error of Refraction। रिफ्रैक्टिव एरर को ठीक करने के लिए चश्मा या फिर ग्लास का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कि रेटिना पर साफ छवि बन जाती है।
आंख में आंसू आने का क्या कारण है?
जब तुम अपनी पलकें झपकाते हों तब आंसू की एक पतली परत तुम्हारे आखों पर फैल जाती है, जो कि इन्फेक्शन फैलाने वाले पदार्थों को खत्म कर देती है।
क्या तुमने सोचा है जब तुम्हारी आंखों में धूल चली जाती है तो आंखों में आंसू क्यों आ जाते हैं।
हमारी आंखें जिंदगी भर काम करती हैं। हमेशा कुछ न कुछ देखते रहना अलग-अलग त्रिवताओं से प्रकाश का सामना करना। जिससे पुतलियां और लेंस एकसाथ काम करते हैं।
आज हमारी आंखों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नींद की कमी धूल, प्रदूषण, धुएं और विभिन्न प्रकार के उपकरणों से निकलने वाली रोशनी। इसलिए हमें अपनी आँखोंका ओर भी ज्यादा ख्याल रखना चाहिए।
हमारी आंखों के कारण हम इस खुबसूरत दुनिया का आनंद ले पाते। इसलिए चलो हम वादा करते हैं कि हम अपनी आंखों को स्वच्छ और हमेशा स्वस्थ रखेंगे।