शुक्राणु क्या है और शुक्राणु कैसे बनता है चित्र सहित पूरी जानकारी जाने और शुक्राणु की संरचना कैसी होती है

एक मानव शरीर को विकसित होने के लिए मादा और न दोनों में युग्मक (Gametes) मौजूद होते हैं। मद में मासिक शराव के द्वारा मादा युग्मक बनते हैं और न में मौजूद टेस्टिस में नर युग्मक बनते हैं।

नर युग्मक, वृषण में करोड़ों की संख्या में बनते रहते हैं।

शुक्राणु कैसे बनता हैं?

स्पर्म या शुक्राणु का निर्माण वृषण के अंदर मौजूद सेमिनिफरस ट्यूबल्स से शुरू होता है। जहां पर स्टेम कोशिकाएं मौजूद होती है जिन्हें इस्पर्मेटोगोनिया कहते हैं।

जब इस स्पर्मेटोगोनिया विकसित होता है तो वह प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट बन जाता है, जिसमें 46 गुणसूत्र होते हैं।

इसके बाद माइटोसिस प्रक्रिया से एक प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट विभाजित होकर दो इस स्पर्मेटोसाइट बनाते हैं, जिन्हें सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स कहते हैं।

अब यह सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट मायोसिस प्रक्रिया के द्वारा विभाजित होकर इस परमिटेड बनाते हैं इनमें 23 गुणसूत्र मौजूद होते हैं इन्हें स्पर्मेटिड्स कहते हैं।

23 गुणसूत्र वाले अपरिपक्व शुक्राणु एपीढिद्यमिस (Epididymis) मैं आकर परिपक्व हो जाते हैं और वहां पर संग्रहित भी होते हैं।

 

शुक्राणु की संरचना

  1. Axial Filament अक्षीय फिलामेंट
  2. Mitochondria माइटोकॉन्ड्रिया
  3. Nucleus नाभिक
  4. Lysosome लाइसोसोम
  5. Protective Shell सुरक्षात्मक कवच
  6. Chromosome गुणसूत्र
  7. Acrosome अग्रपिण्डक
  8. Tail पूँछ
  9. Centriole तारककेंद्रक
  10. Membrane झिल्ली

शुक्राणु की संरचना के बारे में

अक्षीय फिलामेंट (Axial Filament)

अक्षीय फिलामेंट शुक्राणु को हिलने डुलने में मदद करता है।

माइटोकॉन्ड्रिया – जो स्पर्म को एनर्जी देता है ताकि वह आगे चल सके।

नाभिक – यह सबसे आवश्यक भाग है क्योंकि इसमें आनुवंशिक सामग्री मौजूद होती है?

लाइसोसोम – यह मदा युग्मक के कवच को तोड़ता है, ताकि निषेचन के लिए नाभिक को मादा युग्मक में डाल सके।

सुरक्षात्मक कवच – नाभि का के समान को सुरक्षित करके रखती है।

गुणसूत्र – शुक्राणुओं के अंदर 26 गुणसूत्र होते हैं जो होने वाली संतान की विशेषताओं को निर्धारित करते हैं। 23 गुणसूत्र नर युग्मक में और 23 गुणसूत्र मादा युग्मक में होते हैं जो दोनों मिलकर 46 गुणसूत्र बन जाते हैं।

अग्रपिण्डक – यह मादा युग्मक कोशिका से जुड़ने के लिए जरूरी होता है ताकि उसमें जा सके।

पूँछ – यह शुक्राणु को हिलने डुलने के साथ आगे की तरफ बढ़ने में मदद करती है ताकि मादा युग्मक तक पहुंच सके।

तारककेंद्रक – यह सीर और पूंछ को जोड़ता है।

झिल्ली – शुक्राणु को बाहर से होने वाली सती से बचाता है और शुक्राणु के अंदर के पदार्थ को सुरक्षित मादा युग्मक तक पहुंच जाते हैं।

 

 

 

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